92 वर्षीय क्षपकोत्तमा आर्यिका श्री दुर्लभ मति माताजी जी- यम सल्लेखना का पांचवा दिन

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शास्त्रों में वर्णन है कि श्रेष्ठ आचार्य निवापका चार्य के सानिध्य में उत्कृष्ट सल्लेखना समाधि होने पर क्षपक साधु या क्षपकोत्तमा माताजी का जीव अगले 2 भव से 8 भव में सिद्धालय में आरूढ़ होता है

आचार्य श्री देशभूषण जी जी जन्म भूमि कर्म भूमि में यह चरितार्थ हो रहा है। कि पंचम पट्टा धीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी का संघ सहित बेलगांव से श्री महावीर जी राजस्थान का विहार प्रारम्भ हो गया था, किंतु कोथली के भक्तों की भक्ति रंग लाई 3 वर्षो से चातुर्मास का निवेदन कोरोना के निमित भलीभूत हुआ

और 2021 का चातुर्मास कोथली को मिला विकल्प बहुत थे किंतु कोथली की भक्ति पूण्य तेज रहा
जीवन है पानी की बूंद कब मिट जावे इस शास्वत सत्य को जीवन मे अंगीकार किया 92 वर्षीय सुशीला जी ने ऒर आर्यिका दीक्षा लेकर उत्कृष्ट समाधि की याचना कामना आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से की, श्राविका की उच्च भावना का सम्मान कर आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने स्वीकृति दी

2 माह पूर्व माह जुलाई में कोथली में दीक्षा संस्कार आर्यिका श्री सरस्वती मति माताजी ने तथा मंत्रोचार आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने किए,
21 सितम्बर 2021 को आर्यिका श्री दुर्लभ मति जी ने संस्ता रोहण कर यम सल्लेखना आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से ग्रहण कर चारों प्रकार के आहार का त्याग कर दिया

आज क्षपकोत्तमा आर्यिका माताजी का पांचवा उपवास है
आचार्य श्री संघस्थ मुनि श्री हितेंद्र सागर जी संबोधित कर 5 इंद्रियों का कर्तव्य बता रहे है, प्रेरित कर रहे है आत्मा का कलशारोहण करने का
कहते है कि क्षपक साधु के दर्शन करना अंतिम समय की सजगता
इन्द्रिय संयम देखना हजारों तीर्थ यात्राओं से बढ़ कर है

वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी को कोटिशः नमोस्तु
क्षपकोत्तमा माताजी को वन्दामि

राजेश पंचोलिया इंदौर