22 अप्रैल 2022/ बैसाख कृष्णा छठी/चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
इस मनुष्य जीवन का , जैन कुल में जन्म लेने के बाद , जहां जीवन, भगवान राम की तरह जीने का लक्ष्य होता है, वही मृत्यु को महोत्सव बनाकर श्री महावीर स्वामी की तरह उत्तम मरण की ओर जाना भी होता है।
शांत कुमार भैया जी ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि तमिलनाडु के कुंदकुंद स्वामी विदेह क्षेत्र गमन स्थली तपो निलय, पुन्नूर मलै पर, इस समय पिछले 9 दिन से, चारों प्रकार के आहार का त्याग कर मुनि श्री स्वात्मनंदी मुनिराज की यम सल्लेखना चल रही है।
एक समय तमिलनाडु में डिप्टी कलेक्टर के रूप में कार्यरत और फिर रिटायरमेंट के बाद, अपने जीवन को सूक्ष्म करते हुए, ब्रह्मचर्य व्रत और 2 अप्रैल को क्षुल्लक दीक्षा लेने के बाद, आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के मंत्रोच्चार से गणिनि आर्यिका श्री गुरु नंदनी माताजी के सानिध्य में 14 अप्रैल को तीर्थंकर महावीर स्वामी जी के 2621 में जन्म कल्याणक पर, मुनि दीक्षा ग्रहण कर श्रीपालन बन गए मुनि श्री स्वात्म नंदी जी मुनिराज और शायद वर्तमान समय में वही एकमात्र होंगे, जिन्होंने दीक्षा लेने के बाद ,आहार भी ग्रहण नहीं किया
14 अप्रैल से आज 22 अप्रैल यानी 9 दिन बाद भी चारों प्रकार के आहार का त्याग कर , से गणिनि आर्यिका श्री गुरु नंदनी माताजी के सानिध्य में उत्तम साधना में रत है । शरीर से कोई मोह नहीं, पर यह जानते हैं ,मेरी आत्मा अजर अमर है और अब उसी से संबंध रखना है । बाकी सब को छोड़ना है। ऐसे मुनि श्री स्वात्मानंद जी मुनिराज की उत्तम समाधि चल रही है ।
चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी ,उत्तम मार्ग पर बढ़ते हुए मुनिराज को बारंबार नमन करता है।