भावी सिद्धो की हुई प्रथम वंदना- आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ने लिया बहुत बड़ा नियम

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आज 21 मार्च ,भगवन चन्द्रप्रभु और पार्श्वनाथ भगवान जी और दादा गुरु विमल सागर जी महाराज जी और गणाचार्य 108 विराग सागर जी महाराज जी के मंगल आशीर्वाद से आज आचार्य श्री की प्रथम वंदना सिद्ध भूमि सानन्द सम्पन्न हुई।
श्री सम्मेदशिखर पर्वत की वंदना कर मधुबन लौटकर आये आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज ससंघ गाजेबाजे के साथ किया गया पाद प्रकक्षाल, 111 कलश से पाद प्रक्षाल कर आरती की गई।

यह कार्यक्रम पारस ज्योति मंडल मधुबन की ओर से किया गया।
सुधाकर अन्नदाते प्रबन्धक बी एन चौगले बिसपंथी कोठी सुमन कुमार सिन्हा वरिष्ठ प्रबंधक तीर्थक्षेत्र कमेटी शैलेश जैन सुधा, मनोज जैन नागेन्द्र सिंह ,रूपेश जैन ,मनीष जैन राजेश जैन, लाजपतराय जैन रवि जैन, संजय जैन महेंद्र तिवारी,राहुल जैन,धर्मेंद्र सिंह डिम्पल जैन, इस अवसर पर उपस्थित थे
आज आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ने भगवन चंद्रपभु की टोंक पे जीवन का सबसे बड़ा ग्रंथ वस्तुत्व महाकाव्य को आज पूर्ण किया।।जल्दी ही आप सभी के मध्य में यह ग्रँथ आयेगा।
साथ इस वर्ष होने वाली दीक्षा के सभी दीक्षार्थी भैया जी ने श्रीफल , भेंट किया शांति धारा की। साथ 25 अप्रैल को उनके केशलोंच होंगे उसके लिए मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
साथ ही आज आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ने आज बहुत बड़ा नियम लिया
आज आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ने पार्श्वनाथ भगवान के पावन चरणों में आजीवन शक्कर (बुरे) का त्याग किया अब आचार्य भगवन के चार रसों का त्याग। हो गया तैल, दही, नमक शक्कर धन्य है गुरु जी की चर्या।।
अब पुनः आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी संसघ 01//04//21 से 10//04//21 दस दिन तक पहाड़ पे रहेंगे, आप सभी भी इस क्षण के साक्षी बने।