जितना तुम मोबाइल से नहीं जान पाते हो उससे ज्यादा तो हम मन से जान सकते है,मानव की बुद्धि को मशीन नहीं बनाई है: आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी बल्कि मानव की बुद्धि से मशीन से बनी है

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भो ज्ञानी !!! जैसे एक मोबाइल की सिम दूसरे मोबाइल में चल जाती है मात्र कवच बदल जाता है ऐसे ही मित्र!!शरीर बदल जाता है लेकिन आत्मा नहीं बदलती है मित्र !! पर्याय का नाश होता है आत्मा का नाश नहीं होता है।।
भो ज्ञानी !!!द्रव्य हिंसा और द्रव्य अहिंसा की व्याख्या तो सामान्य जीव भी कर सकता है लेकिन मित्र !!भाव हिंसा और भाव अहिंसा की व्याख्या मात्र जैन दर्शन करता है।।

भो ज्ञानी !! संपूर्ण दुःखो का और किलेष का कोई कारण है उसका नाम अज्ञान है।।

भो ज्ञानी !! अपनी बुद्धि का व्यय पर के चेहरे देखने में मत बर्बाद करो अपने निज भगवान आत्मा को देखने के लिए अपनी बुद्धि का व्यय करो।।

।।जितना विषय चक्षु का नहीं है उतना विषय श्रुत का है।।

भो ज्ञानी !!जितना तुम मोबाइल से नहीं जान पाते हो उससे ज्यादा तो हम मन से जान सकते है।।

भो ज्ञानी !!मानव की बुद्धि को मशीन नहीं बनाई है बल्कि मानव की बुद्धि से मशीन से बनी है।।

भो ज्ञानी !!कुछ लोग बोलते है कि मोबाइल के बिना जीवन अधूरा है वे अज्ञानी है जिनके पास जिनागम है मित्र उनका जीवन अधूरा नहीं है
जीवन उनका अधूरा है जिनके पास जिनागम नहीं है।।

भो ज्ञानी !!!जिनके पास तत्व की आंख नहीं है वहाँ भीड़ की भीड़ है जिनके पास तत्व की आंख है वहां भीड़ नहीं है

भो ज्ञानी !!पर पुराणों में समय बर्बाद मत करो चैतन्य पुराण लिखो।।

भो ज्ञानी!! उज्जवल कुल, उज्जवल चारित्र, उज्जवल वस्तु, उज्जवल भाव प्रचंड पुण्य से मिलता है।।

भो ज्ञानी !!जैसे कैमरामेन अपने कैमरे की बाहर की धूल से रक्षा करता है ताकि उसमें वायरस न आ जाएं ऐसे ही मित्र !!अपने मस्तिष्क में पर भावों का वायरस नहीं आने दो, कुभावो का वायरस नहीं आने दो।।

भो ज्ञानी !! कर्तत्व का निरशन करना बहुत बड़ी साधना है।।

भो ज्ञानी !! ब्रह्मांड की सबसे बड़ी साधना अकर्तत्व भाव है।।
।।जो है सो है।।

भो ज्ञानी !!ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति उत्साह शक्ति है।।
।। जो है सो है।।

भो ज्ञानी !! बच्चों के पेंट शर्ट देखकर पापी कहना बंद करो
आज एक सुबह युवा बोल रहा था कि महराज आज मैंने सुबह कुछ खा लिया था कि इसलिए मैंने आज आहार नहीं दिए
एक बालक की सोच देखो
मित्र !!भावों को देखो इसलिये हे युवाओं !! भले ही कपड़े कोई भी पहनते रहना लेकिन जैनत्व को मत छोड़ देना।।
जो है सो है।

भो ज्ञानी!!जैसे पानी को देखो ढ़लान में डाल दो बहता जाता है जिस ओर ढलान है उस ओर बहता जाता है ऐसे ही ये युवा है जिनको जिस ओर ढालते जाओ उस ओर वे बहते जाते है।।
।।जो है सो है।

भो ज्ञानी !! जिसके अंदर उत्साह शक्ति है वह 80 साल का वृद्ध भी शिखर जी की वंदना पैदल कर लेता है लेकिन जिसके अंदर उत्साह शक्ति नहीं है वह 18 साल का युवा सोचता है कि कब डोली वाला मिल जाये मोटर साईकिल मिल जाये।।

भो ज्ञानी !! ऊंची ऊंची अट्टालिकाओं से प्रभावित मत होना ऊंचे ऊंचे चारित्र से प्रभावित होना।।

भो ज्ञानी !! भौतिक उपकरण आत्म साधना में न सहकारी है न कार्यकारी है
आत्म साधना में तो मात्र पंच परमेष्ठी सहकारी है और निज भगवान आत्मा कार्यकारी है।।

।।वे धन्य है युवा है जो 16 वर्ष में अखंड ब्रह्मचर्य लेने खड़ा हो जाता है जब बालाओं की याद करने का समय आता है उस समय वह भावों को संभाल रहा है। और बालाओं की याद आ रही हो तुम बाल खिंचाने( केशलोंच )आ गए हो।।

भो ज्ञानी !!जैसे सांप काचुरी छोड़ देने के बाद निर्विष नहीं होता है ऐसे ही कपड़े भले ही उतार दिये लेकिन अहिंसा का पालन करना पड़ेगा।।

भो ज्ञानी !!
हिंसा धर्म
होती नहीं
और
धर्म में
हिंसा
होती नहीं।।
।।जो है सो है।।