जैसे पंखे की हवा में गीला कपड़ा सुख जाता है , वैसे ही पंखे की हवा में हमारा विवेक और ज्ञान के तंतु सूख जाते है: आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी

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12 जून 2022/ जयेष्ठ शुक्ल त्रियोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

अमृत तीर्थ, जबलपुर- आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि
भो ज्ञानी !! जैसे भूकंप के आने से बिल्डिंग कमजोर हो जाती है वैसे ही ज्ञानी !! पंखे कूलर की हवा खाकर तुम्हारे ज्ञान के तंतु कमजोर हो जाते है।।

भो ज्ञानी !!जैसे पंखे की हवा में गीला कपड़ा सुख जाता है , वैसे ही पंखे की हवा में हमारा विवेक और ज्ञान के तंतु सूख जाते है।।

भो ज्ञानी !!जितने साधन बड़े हुए है उतने साधन बिगड़े हुए है।।पहले आँखों के चश्मे क्यों नहीं लगते थे, अब बहुत लग रहे है पहले के लोग ऐसे ही हिसाब जोड़ लेते थे, लेकिन अब तो केलकुलेटर रख कर बैठता है ,अब साधन बढ़ गए है तो हमारी आंखे खराब हो रही है।।

भो ज्ञानी! वे ही निकट भव्य है जिनकी जिनवाणी गुरु देव और प्रभु के चरणों मे आस्था है।।