किसी के सोचने से किसी का अहित नहीं होता है , परन्तु हम बुरा सोचेंगे तो उसका बुरा हो या ना हो पर अपना तो बुरा हो ही जायेगा – आचार्य विशुद्ध सागर

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जीवन में कभी किसी का अच्छा कर सको तो अवश्य करना पर किसी का बुरा करना तो दूर ही है बुरा विचारना भी नहीं

कयोंकि किसी के सोचने से किसी का अहित नहीं होता है , परन्तु हम बुरा सोचेंगे तो उसका बुरा हो या ना हो पर अपना तो बुरा हो ही जायेगा ।

जीवन में हमेशा याद रखना कि- जो दूसरों को गड्ढा खोदता है वही गड्ढे में गिरता है , इसलिए अच्छा सोचो , अच्छा बोलो , अच्छा करो ।

छोटे – छोटे सूत्र हमारे जीवन में बहुत उपयोगी हैं । *अपनी लाइन बड़ी करो , किसी की लाइन मिटाने मत जाओ ।* तुम सोच ही पाओगे , कर कुछ नहीं पाओगे , रोते रह जाओगे ।

*वस्तु व्यवस्था व्यवस्थित है हम उसमें फेर- बदल नहीं कर सकते हैं । जैसा जिसका नियोग है वैसा होगा – ही – होगा । जो है सो है । बुरा मत सोचो , बुरा मत बोलो , बुरा मत करो*
– आचार्य रत्न विशुद्ध सागर जी महाराज