गर्म मस्तिष्क से कभी भी धर्म की व्याख्या नहीं हो सकती,अगर कोई गाल पर चाटा मार दे , तो दूसरी गाल आगे मत करना बल्कि उसकी रक्षा करना – आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज

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अगर कोई गाल पर चाटा मार दे तो दूसरी गाल आगे मत करना बल्कि उसकी रक्षा करना.
मधुबन: झारखण्ड के सम्मेद शिखर जी में विराजमान आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सारा जगत धर्म के नाम खून बहा रहा है लेकिन जिनशासन कहता है कि अहिंसा ही धर्म है। भगवान महावीर ने कहा है जियो और जीने दो। ये धर्म है। प्रवचन श्रृंखला का ऑनलाइन विशुद्ध देशना यूट्यूब चैनल से भक्तगण धर्मलाभ ले रहे है।

आचार्य महाराज ने कहा कि प्राणी मात्र की रक्षा करना धर्म है। वे अज्ञानी जीव है जो मात्र कहते है मनुष्य की मात्र रक्षा करना। जो बोल नहीं पाते है उनके लिए बोलना भी धर्म है। ये नही की सिर्फ रक्षा करना ही धर्म है। मोक्ष मार्ग भाषणों का मार्ग नहीं है मोक्ष मार्ग देशना का मार्ग है।

किसी का घात करना ही हिंसा नहीं है अपने मन में अशुभ भाव आना भी हिंसा ही है। एक ओर वहां जीव जीवों का घात करने लगे है जहां ये भारत देश है जहाँ लोगों के अंदर धर्म है। मत मारो किसी को सभी की रक्षा करो।

अज्ञानता का प्रचार मत करो जैसे कोई किसी को गाल पर चाटा मार दे तो दूसरे गाल आगे मत कर देना कि लो इसमें मार दो, मित्र धोखे से कोई मार दे लेकिन दूसरे गाल को आगे मत कर देना उसकी रक्षा करना। पागल जीव पत्थर फेंक सकता है लेकिन दिगम्बर मुनि किसी पर पत्थर नहीं फिकवा सकता है वह तो प्राणी मात्र की रक्षा करता है।

गर्म मस्तिष्क से कभी भी धर्म की व्याख्या नहीं हो सकता है। ठंडे मस्तिष्क से ही धर्म की व्याख्या करना चाहिए। जिनवाणी विसंवाद नहीं कराती है जिनवाणी विसंवाद मिटाती है। जहां अल्प व्यय हो रहा है और लाभ बहुत हो रहा है तो उस व्यय करने में देरी मत करना लेकिन यदि अल्प व्यय में ज्यादा घाटा लगे तो उसे व्यय मत करना।। ये नीति है।

– प्रवीण जैन (पटना),