तन के मल को जल से धो सकता है लेकिन कर्म रूपी मल को धोने के लिए जिनवाणी का पानी चाहिए, घर घर में जिनवाणी होनी चाहिए: आचार्य विशुद्ध सागर जी

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भो ज्ञानी !! जैसे मेघ प्रसन्न नहीं है तो धरती कैसे प्रसन्न रह पायेगी जैसे धरती के लिए मेघों का पानी चाहिए वैसे ही जिनदेशना के पानी के बिना आत्मा में परमात्मा की फसल नहीं आ पायेगी।।
भो ज्ञानी!! धन धरती को संभालने वाले कोटि कोटि जीव है लेकिन भगवती माँ जिनवाणी को संभालने वाले विरले जीव होते है।।

भो ज्ञानी!! शुचिता चाहिए, पवित्रता चाहिए तो पानी चाहिए, कोई गंगा के पानी से पवित्रता मान रहे है।।जैसे पानी को पानी से शुद्ध किया जाता है ऐसे ही वाणी को शुद्ध करने के लिए जिनवाणी की आवश्यकता है

भो ज्ञानी!! तन को धोने के लिए पानी चाहिए और मन को धोने के लिए जिनवाणी चाहिए।।

भो ज्ञानी!! तन की शोभा, मन की शोभा गुरु और प्रभु की सेवा से मिलेगी।।

भो ज्ञानी !! गुरु की सेवा से तन पवित्र होता है प्रभु की वंदना से गुणगान से मन पवित्र होता है जिनवाणी के वाचन से वचन पवित्र होता है।।

भो ज्ञानी !!आत्मा की पवित्रता के लिए रत्नत्रय चाहिए।।

भो ज्ञानी !! जल के स्पर्श से तन का मल धो सकता है लेकिन मन का मल धोना है तो जिनवाणी का जल चाहिये।।

भो ज्ञानी !! तन के मल को जल से धो सकता है लेकिन कर्म रूपी मल को धोने के लिए जिनवाणी का पानी चाहिए।।

गीता में आया आत्मा नदी है संयम ही पानी है
पानी में डुबकी लगाने से आत्मा पवित्र नहीं होती है ऐसे ही आत्मा में डुबकी लगाने से ही आत्मा पवित्र होगी।।

भो ज्ञानी !!आत्मा पानी से नहीं संयम शील से पवित्र होती है।।

भो ज्ञानी!! संसार की सबसे खोटी वस्तु कोई हैं उसका नाम है लोभ।।

भो ज्ञानी!! राग और द्वेष का जैसा संबंध है वैसे ही लोभ और मोह का संबंध है।।

।।भो ज्ञानी!! सारी कषायों का कोई बाप है उसका नाम है परिग्रह।।

भो ज्ञानी!! जल में उतरने के लिए जैसे पहले उतारना पड़ता है वैसे ही आत्मा में उतरने के लिए परिग्रह के वस्त्र उतारने पड़ेगा।।
घर घर में जिनवाणी होनी चाहिए

मेरे मित्र अगर आपके घर में जिनवाणी रखी है और कोई अभागा आपसे कहे की इस जिनवाणी को मंदिर में रख आओ तो ज्ञानी उसकी बातों में नही आना हर घर में जिनवाणी होना बहुत जरूरी है

जैसे आप अपने घर मैं शयन कक्ष बनाते हो बैठक बनाते हो ऐसे ही ज्ञानियों अब से अपने घर में शुद्ध स्थान स्वाध्याय कक्ष भी बनवाओ पता है कोरोना काल में जिनके जिनके घर में स्वाध्याय कक्ष थे उन्होंने कम से कम शांति से बैठ कर जाप तो दे देते थे

मेरे मित्र जैसे पहले एक पिता घर में जमीन में संपदा गाड़ जाते थे और आपको पता चलता था तो उसे निकाल कर आप धनपति बन जाते थे ऐसे ही ना जाने कौन सा जीव आपके कूल में जन्म लेले और उस रखी हुई जिनवाणी को पढ़कर महापंडित दिगंबर मुनि बन जाए
:- आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज