धन लोभ में मानवता को मत रुलाओ उपकार उपकार ही करो मानवता के साथ खिलवाड़ मत करो-आचार्य विशुद्ध सागर जी महराज जी -बहुत सुदंर- कविता

0
1361

सिद्ध भूमि श्री सम्मेद शिखर जी (झारखंड) में चर्या शिरोमणि आचार्य भगवन 108 विशुद्ध सागर जी महराज जी ने इस महामारी के काल में एक बहुत सुदंर ही कविता लिखी।।
क्योंकि इस महामारी में कैसे कैसे घटनाएं सुनने को मिल रही है कैसे कैसे जगत के जीव परेशान हो रहे है।।

मत करो खिलबाड़

अहो हंसात्मन् !!
पलपल में संभल
समय क्षण भंगुर
कब नष्ट हो जायेगा।।
लाखों गए कोई
रोक तो नहीं सका
और तो क्या रोने वाले भी
घर में नहीं रहे

महामारी कोरोना
सबको निगल गया
प्रतिदिन नए नए
समाचार मिले
जाने वालों के
तो कभी अन्य सुनेंगे
समाचार तेरे भी जाने के

इसलिये मित्र ऐसे जिओ अब
जाने के बाद भी
जीते रहो
जीने वालो के ह्रदय में
करो उपकार स्व शक्ति से
जीने वालों का
मत करो मानवों
के साथ छल कपट
मानवता को जीने दो

धन लोभ में मानवता
को मत रुलाओ
उपकार उपकार ही करो
मानवता के साथ
खिलवाड़ मत करो।।

।।जो है सो है।।

कृतिकार- श्रमणाचार्य 108 विशुद्ध सागर जी महराज