गया के बालक ने आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज का बनाया अद्भुत चित्र, गुरुदेव ने दिया मंगल आशीर्वाद

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गया (बिहार) में विराजमान आध्यात्म योगी जैन संत परम पूज्य आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज का एक बालक ने बहुत ही सुंदर अद्भुत चित्र बनाया है। बालक की उम्र महज 13 वर्ष है। चित्र बनाने वाला बालक गया निवासी निशांत जैन ने यह चित्र मात्र 9 घण्टे में बनाया है। चित्रकारी में इनका अभी शुरुआती दौर चल रहा है। फिर भी अपने हाथों और कलम की कला को बहुत ही सुंदर उकेरा है। रविवार को बालक ने आचार्य श्री के चरणों में अपनी कला द्वारा उकेरी चित्र को भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

बालक निशांत ने कहा कि जीवन में हमेशा कठिनाई है और संसार से जुड़े रिश्तों में किसी न किसी से लड़ाई है इस संसार से जो मोह माया राग द्वेष त्याग दिए वही आज सच्चा निर्ग्रन्थ गुरु हैं। आचार्य श्री को चित्र भेंट करते हुए मंच पर बालक ने एक पंक्ति में कहा कि “गुरु विशुद्ध सागर देख आपकी झलक सुहानी पतझड़ भी खिल जाते, जिनका एक दरश पाकर पत्थर भी तर जाते, धन्य धन्य हैं हम सब जीव जगत के जो गुरु आपसा पाते है।”

इस दौरान आचार्य श्री और पूरे मुनि संघ ने प्यारी मुस्कान के साथ बालक को मंगल आशीष दिया। हम भी बालक निशांत जैन के उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करते है। इस पर माँ जिनवाणी की कृपा सदा बनी रहे। बता दें कि इसके पहले भी गया जैन समाज के बीच से एक छोटे बालक ने आचार्य श्री की सुंदर चित्र बनाया था।

इस अवसर पर आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि हर समाज में ऐसे कई बच्चे, युवा जरूर होते है जिनके अंदर किसी न किसी प्रकार की कला हुनर छुपी होती है। हर व्यक्ति को किसी न किसी क्षेत्र में रुचि होती है। उसके कला प्रतिभा को समाज के बीच में स्थान देकर प्रोत्साहित अवश्य करना चाहिए। जिससे उसके जीवन का भविष्य, यशोकीर्ति गतिमान हो और वह समाज का कीर्तिमान स्थापित करें।
-प्रवीण जैन (पटना)