भारतीय डाक विभाग द्वारा 50 वर्ष पूर्ण होने पर परम पूज्य आचार्य रत्न श्री विशुद्ध सागर जी महाराज पर डाक टिकट जारी

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श्रमण संस्कृति के श्रेष्ठ चर्या शिरोमणि एवं अध्यात्मयोगी आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के अवतरण दिवस 18 दिसंबर को श्रमण संस्कृति सेवा समिति इंदौर के सौजन्य से भारतीय डाक तार विभाग द्वारा 5 रुपए मूल्य का डाक टिकट जारी किया है

जिसका विमोचन श्री दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान के दौरान 18 दिसंबर को प्रातः 10:00 बजे इंदौर के लोकप्रिय सांसद श्री शंकर जी ललवानी, दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद इंदौर के अध्यक्ष श्री राजकुमार जी पाटोदी एवं श्रमण संस्कृति सेवा समिति इंदौर के संयोजक एवं दानवीर उद्योगपति श्री आजाद कुमार जी बीडी वालों के कर कमलों से हुआ ।

आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी पर जारी डाक टिकट का विक्रय जीपीओ स्थित डाक तार विभाग के फिलेटेलिक ब्यूरो कार्यालय से किया 12 टिकट का मूल्य ₹300 है

21सवीं सदी के दूरदृष्टा अध्यात्मयोगी एवं चर्या शिरोमणी 108 आचार्यश्री विशुद्धसागरजी महाराज वर्तमान में श्रमण संस्कृति के सुविख्यात आध्यात्मिक संत हैं और आज अपने जीवन के 50 वर्ष पूर्ण कर 51वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। आप अंतिम तीर्थंकर एवं वर्तमान शासन नायक भागवान महावीर स्वामी की परम्परा में हुए आचार्य आदिसागर अंकलीकर परम्परा के प्रतिनिधि गणाचार्य विरागसागरजी महाराज से दीक्षित उनके बहुचर्चित श्रमण शिष्य हैं और अपनी आगम अनुकूल चर्या एवं ज्ञान से नमोस्तु शासन को जयवंत कर रहे हैं।

17 वर्ष की अल्पायु में गृहत्याग

18 दिसंबर 1971 को म.प्र. के भिंड जिले के ग्राम रूर में आपका जन्म हुआ। पूर्व संस्कारवश आपको बाल्यकाल में ही आध्यात्मिक रूचि जागृत हुई और मात्र 17 वर्ष की अल्पायु में आपने जीवन पर्यंत के लिये गृह त्याग कर आचार्य विरागसागरजी के करकमलों से 11 अक्टूबर 1989 को क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की, पश्चात 19 जून 1991 को हीरों की नगरी पन्ना में ऐलक दीक्षा एवं 21 नवंबर 1991 को जैनेश्वरी मुनि दीक्षा को प्राप्त किया, तदोपरांत गणाचार्य विरागसागरजी महाराज द्वारा आपको 31 मार्च 2007 महावीर जयंति के दिन औरंगाबाद महाराष्ट्र में आचार्य पद प्रदान किया गया।
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