पेट मे भूख हो भोजन की, तो हाथ मे रोटी दिखने लगती है। ऐसे ही आस्था परमात्मा मे होती है, तो सामने धर्मात्मा के पास जाते है: आचार्य रत्न विशुद्ध सागर

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आचार्य रत्न विशुद्ध सागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा-
जैसे सुर्य खिलता है, सुर्यमुखी फूल खिलने लगता है। और जिधर सुर्य घूमता है, उसी ओर सुर्यमुखी फूल उसी ओर घूमता है।
ज्ञानी!! सुर्य के प्रचण्ड तेज को देख करके, गुलाब खिलने लगते है, कमल खिलने लगते है। ऐसे ही सम्यकदृष्टि जीव, धर्म-धर्मत्माओ को निहार कर प्रसन्नचित्त होता है। ये सम्यकदृष्टि की पहली पहचान है।

भूख हाथ मे होती है, कि पेट मे होती है?? भूख मन मे होती है गाने की तो मेरे मित्र!!! वचन मुख से निकलने लगते है। और पेट मे भूख हो भोजन की, तो हाथ मे रोटी दिखने लगती है। ऐसे ही ज्ञानी!! आस्था परमात्मा मे होती है, धर्म-धर्मात्मा पर होती है, तो मित्र!! सामने धर्मात्मा के पास जाते दिखने लगते है।
भूख मिटाने का उपाये रोटी है, अंतरंग की भक्ति की भूख उमड़ती है, तो पंच परमेष्ठी के द्वारे आए बिना कोई रोक नही सकता है