मात्र दसवीं तक पढ़े, पर ज्ञान में लाखों को सही दिशा बताने वाले, जीवन पर्यंत नमक, दही, तेल के त्यागी, आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी का आज है 51वा जन्म दिवस

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18 दिसंबर 2022/ पौष कृष्णा दशमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
अध्यात्मयोगी श्रमणाचार्य श्री 108 विशुद्धसागर जी महाराज जी का संक्षिप्त जीवन परिचय
पूर्व नाम : बा.ब्र.श्री राजेन्द्र कुमार जी जैन(लला)
पिता श्री : श्री रामनारायण जी जैन ( समाधिस्थ – मुनि श्री विश्वजीत सागर जी )
माता श्री : श्रीमती रत्तीबाईजी जैन ( समाधिस्थ – क्षुल्लिका श्री विश्वमतिमाताजी )
जन्म स्थान : भिण्ड (म.प्र.)
गृह ग्राम : रूर

जन्म दिनांक: 18 दिसम्बर 1971
लौकिक शिक्षा: दसवीं
भाई / बहिन : पाँच 5 , बहिन 2
ब्रह्मचर्यव्रत:- 16 नवम्बर 1988 तीर्थक्षेत्र बरासौं जी
क्षुल्लक दीक्षा : 11 अक्टूबर 1989 , भिण्ड ( म . प्र . )
नामकरण : क्षुल्लक श्री यशोधर सागर जी
ऐलक दीक्षा : 19 जून 1991 , पन्ना ( म . प्र . ) मुनि दीक्षा : 21 नवम्बर 1991 कार्तिक सुदी पूर्णिमा

मुनि दीक्षा स्थल : तीर्थक्षेत्र श्रेयांसगिरि , जिला – पन्ना (म.प्र.) नामकरण : *मुनि श्री विशुद्धसागर जी
आचार्य पद:- 31 मार्च 2007 महावीर जयंती स्थान औरंगाबाद ( महाराष्ट्र )
दीक्षा गुरु परम पूज्य गणाचार्य 108 श्री विरागसागर जी महाराज
भाषाज्ञान : हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत
साहित्य सृजन शताधिक आध्यात्मिक कृतियाँ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा: लगभग 100 में 1 या 2 कम 👣विहार क्षेत्र : मध्यप्रदेश , उत्तरप्रदेश , छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र , कर्नाटक , राजस्थान ,विहार
पग विहार : 60000 km लगभग
न्याय – अध्यात्म शास्त्रों का अध्ययन / अध्यापन एवं मौन साधना प्रसिद्धि : आगम एवं अध्यात्ममयी सरल – सुबोध प्रवचनकार
रस त्याग : नमक , दही , तेल का जीवन पर्यन्त के लिए
वैभब बड़ामलहरा & अनुराग