तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का कल्याणक पर्व पूरे विश्व में जितने भी धूमधाम के साथ मनाया जाए कम है: गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी- 1100 जिनप्रतिमाओ की जैनेश्वरी दीक्षा

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09 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/पथरिया

विरागोदय महामहोत्सव में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री1008 आदिनाथ भगवान का तप कल्याणक गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में मनाया गया। गणाचार्य श्री108 विराग सागर जी ने कहा कि प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जन्म कल्याणक पर्व पूरे विश्व में जितने भी धूमधाम के साथ मनाया जाए कम है। भगवान ऋ षभदेव से ही इस युग में मोक्षमार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने ही असि, मसि, कृषि आदि शिक्षाएं देकर मानवता को जीवन यापन करना सिखाया।

पथरिया के विरागोदय तीर्थ पर आयोजित पंच कल्याणक महोत्सव के चौथे दिन तप कल्याणक विधि-विधान से हर्षोल्लास के साथ आयोजित हुआ। इस दौरान भगवान के नामाकरण संस्कार से लेकर विवाह तदुपरांत वैराग्य, दीक्षावन प्रस्थान आदि का कार्यक्रम संपन्ना कराया गया। उपस्थित हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंत्रमुग्ध पूरे कार्यक्रम को निहारते रहे। महोत्सव का शुभारंभ मंत्र आराधना से हुआ। उसके बाद नित्यमह पूजा, तप कल्याणक पूजा फिर हवन का कार्यक्रम संपन्न कराया गया। प्रतिष्ठाचार्य पं. हँसमुख जी,भागचंद जी ने बताया कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म चैत्र कृष्ण तेरस के दिन सूर्योदय के समय हुआ।

उन्हें ऋषभनाथ भी कहा जाता है। उन्हें जन्म से ही सम्पूर्ण शास्त्रों का ज्ञान था। वे समस्त कलाओं के ज्ञाता और सरस्वती के स्वामी थे। उनके पुत्र भरत चक्रवर्ती सम्राट बने। उन्हीं भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। आदिनाथ/ ऋषभनाथ सौ पुत्रों और ब्राह्मी तथा सुंदरी नामक दो पुत्रियों के पिता बने। भगवान ऋषभनाथ ने ही विवाह-संस्कार की शुरुआत की और प्रजा को पहले असि (सैनिक कार्य), मसि (लेखन कार्य), कृषि (खेती), विद्या, शिल्प (विविध वस्तुओं का निर्माण) और वाणिज्य-व्यापार के लिए प्रेरित किया। कहा जाता है कि इसके पूर्व तक प्रजा की सभी जरूरतों को कल्पवृक्ष पूरा करते थे।

1100 प्रतिमाओं के दीक्षा कल्याणक संपन्न

तप कल्याणक के पावन अवसर पर आदिकुमार की बारात का आयोजन हुआ जिनमे बड़े जैन मंदिर से बारात प्रारंभ हुई ,जिसमें 21 रथ ,3 हाँथी ,दिव्यघोष, बैंड पार्टी के साथ हजारों बरातियों के साथ आदिकुमार प्रमुख रथ पर सवार थे।लोगो ने द्वार द्वार पर स्वागत किया।प्रमुख मार्गों से बारात घूमती हुई विरागोदय कार्यक्रम स्थल पहुँची जहां बर माला पहनाकर विवाह संस्कार सम्प्पन हुए। उसके उपरांत 1100 जिनप्रतिमाओ की जैनेश्वरी दीक्षा गणाचार्य समेत सभी आचार्यों समेत मुनिराज के करकमलों से हुई।

साथ ही आज भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य झांसी एवं सागर की पूर्व विधायक सुधा जैन समेत अनेक राजनेता जनप्रतिनिधि व भक्त पधारे।

-राजेश रागी /रत्नेश जैन बकस्वाहा