एक उपवास एक आहार की साधना – पंचम युग में चतुर्थ काल की चर्या का अनुपम उदाहरण आचार्यश्री विद्यासागर जी के शिष्य मुनि द्वय

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इस युग के महान साधक विश्व वन्दनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य पूज्य मुनि द्वय विनीत सागर जी महाराज, चन्द्रप्रभ सागर जी महाराज जो राजस्थान की हाडौती की पुण्यधरा भवानीमंडी में विराजित है उनका वर्षायोग निर्विघ्न संपन्नता की और अग्रसर है। सचमुच उनकी साधना को देख हर कोई बस एक टक उनके तप साधना को नमन करता है। पूज्य मुनि श्री चद्रप्रभ सागर जी महाराज एक उपवास एक आहार की साधना को कर रहे है। ऐसे परिषह विजयी साधक है। पूज्य मुनि द्वय सचमुच अद्वितीय साधक है। उनका कोई भी कार्य नियोजित नही होता। स्वयं नियोजित होता चला जाता है।

संस्मरण
28oct 2021 की सुप्रभात बेला में पूज्य मुनि द्वय की गुरु भक्ति हुई उसके उपरान्त मंगल प्रवचन हुआ मंगल प्रवचन के बाद आहारचर्या पूर्ण हुई। पूज्य मुनि द्वय सन्त भवन आए उसके बाद जो हुआ वह सभी की कल्पना से परे था। एक नया सन्देश लेकर आई। पूज्य मुनि संघ का बिना किसी सूचना के पीछी परिवर्तन हुआ सभी का मन चकित हो गया। लेकिन यही है पंचम युग मे चतुर्थ युग की चर्या का अनुपम उदाहरण है।
कुछ भी नही नियोजित
स्वयं हो जाता नियोजित
न करते कोई आयोजन आयोजत
ज्ञान ध्यान तप में सदा समर्पित
इनका सानिध्य पाकर हाडौती की धरा है गर्वित

– अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमडी