कम्पिला नगरी में जन्मे, 60 धनुष ऊंचे कद वाले, 13वें तीर्थंकर श्री विमलनाथजी की 60 लाख वर्ष की आयु जब पूर्ण होने लगी तो एक मास के योग निवृतिकाल के साथ, आप शाश्वत मोक्ष धरा श्री सम्मेदशिखरजी की सुवीर कूट पर पहुंचे और आषाढ़ कृष्ण अष्टमी (जो इस वर्ष 02 जुलाई को है) 600 महामुनिराजों के साथ प्रदोष काल के पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में सिद्धालय गये।
(कुछ नित्य नियम पूजा पुस्तक ‘पूजन पाठ प्रदीप’ में तीर्थंकर विमलनाथ जी के मोक्ष जाने की तिथि पूजा में तथा सूची में गलत लिखी है, आपकी मोक्ष तिथि आषाढ़ कृष्ण अष्टमी ही है, जिसका स्पष्ट उल्लेख चौबीसी पुराण, लोहाचार्य द्वारा रचित शिखरजी महात्म्य, जैन धर्म का प्राचीन इतिहास आदि में है)।
इस कूट से ही विमलनाथ जिनेन्द्रादि 70 करोड़ 60 लाख 740 महामुनिराज मोक्ष गये हैं। इस सुवीर (संकुल कूट) की भाव सहित वंदना करने से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है। 13वें तीर्थंकर श्री विमलनाथ जी के मोक्ष कल्याणक पर्व की जय – जय – जय।