आज आषाढ़ कृष्ण अष्टमी , सुवीर कूट से सिद्धालय जाने वाले 13वे तीर्थंकर श्री विमलनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस

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आज आषाढ़ कृष्ण अष्टमी श्री विमलनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस है।
भ्रमरसाढ़ अष्टमी अति पावनो,
विमल सिद्ध भये मन भावनो।
हरी जजें तित पूजिया,
हम जजैं इत हर्ष धरै हिया ।।
ॐ ह्रीं आषाढ़कृष्णषष्टयाम् दिने मोक्ष मंगल प्राप्ताय श्री विमलनाथ जिनेन्द्राभ्यो अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा

आइये प्रश्नोत्तर के माध्यम से हम तीर्थंकर परिचय करते हैं

प्रश्न – तेरहवे तीर्थंकर श्री विमलनाथ भगवान को किस चिन्ह से जाना जाता है?
उत्तर – सूकर चिन्ह से।

प्रश्न- श्री विमलनाथ भगवान की दीक्षा किस वन में हुई?
उत्तर – सहेतुक वन में।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान की दीक्षा पालकी का क्या नाम था?
उत्तर – देवदत्ता पालकी।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान के दीक्षा वृक्ष का नाम बताइये?
उत्तर – जामुन का वृक्ष।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान का प्रथम आहर किस नगर में हुआ था?
उत्तर – नंदपुर नगर में।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान को प्रथम आहर देने वाले कौन थे?
उत्तर – राजा श्री जय कुमार।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान ने किस वस्तु का आहार किया?
उत्तर – खीर का आहार

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान को केवलज्ञान किस स्थान पर हुआ?
उत्तर – कम्पिल नगर के सहेतुक वन में जामुन वृक्ष के नीचे।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान के शासन देव व देवी का नाम बताइये।
उत्तर – पाताल यक्ष व वैरोटी देवी।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान के सोशरण में कितने गणधर थे?
उत्तर – पचपन गणधर।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान के समोशरण में प्रमुख गणधर कौन थे?
उत्तर – जय नाम के गणधरी (मदरार्य)।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान के समोशरण में प्रमुख श्रोता कौन थे?
उत्तर – स्वयंभू नाम के प्रमुख श्रोता।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान के समोशरण में ऋषियों मुनियों की संख्या कितनी थी?
उत्तर – उड़सठ हजार ऋषि, ग्यारह सौ पूर्वधर मुनि, उड़तीस हजार पांच सौ शिक्षक मुनि, चार हजार आठ सौ अवधि ज्ञानी मुनि, पांच हजार पांच सौ केवली, नौ हजार विक्रियाधारी मुनि, पांच हजार पांच सौ विपुलमति ज्ञान धारक मुनि, तीन हजार छह सौ वादी मुनि, एक लाख तीन हजार आर्यिकायें थी ।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान के समोशरण में कितने श्रावक श्राविका थे?
उत्तर – दो लाख श्रावक और चार लाख श्राविकायें।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक किस तिथि को और कहाँ से हुआ?
उत्तर- श्री सम्मेद शिखर जी की सुवीर कूट से पर्वू भाद्रपद नक्षत्र में आषाढ़ कृष्णा अष्टमी को प्रदोष काल (अपरान्ह काल) में छह सौ मुनियों के साथ खड़गासन अवस्था में मोक्ष को गए.

प्रश्न -श्री विमलनाथ भगवान के शासन काल में कौन से बलदेव, नारायण, प्रतिनारायण और रूद्र हुये?
उत्तर – धर्मनाम के बलदेव, स्वयंभू नाम के नारायण, मेरक नाम के प्रतिनारायण और पुंडरीक नाम के रूद्र हुए ।

प्रश्न – श्री विमलनाथ भगवान का तीर्थ प्रवर्तन काल कितने वर्ष का था?
उत्तर – पौन पल्य कम नौ सागर पन्द्रह लाख वर्ष।

संकलनकर्ता नन्दन जैन