गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम् पुज्य आचार्य श्री विमदसागर जी महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में इंदौर में बहुत ही महती धर्म प्रभावना हो रही है
एल एन सिटी में आचार्य श्री के मुखारविंद से अमृतमयी प्रवचन के मुख्य अंश
यह जीव संसार मे जन्म लेता है और मरण करता है जन्म और मरण के बीच कभी दुःख प्राप्त करता है कभी सुख प्राप्त करता है
जन्म मरण का यह चक्र अनादि काल से चला आ रहा है
कभी जन्म होता है और कभी मरण
धर्म एक ऐसा शरण है जो संसार सागर से पार कर सकता है
इस कोरोना काल मे न पैसा काम आया और न कोई अपना
आज के बाद यह मत कहना कि इसके बिना चलता नही है
कोरोना ने हमे यह शिक्षा दी है कि करलो भैया दान पुण्य कल का कोई भरोसा नही है
परिस्थितिया आदमी से सब करा लेती है
हमारी जिंदगी बहुत हल्की थी हमारी आकांशाओ ने उसे भारी बना दिया है
नदी पार करने में सोने की नांव नही लकड़ी की नांव काम आती है
पहले के लोग कर्म में कम बल्कि धर्म मे ज्यादा खर्च करते थे
आज के लोग कर्म में ज्यादा धर्म मे कम खर्च करते है
जो आदमी घर के अंदर अमीर होता है वही आदमी मंदिर में दान देने वक्त गरीब हो जाता है
पाप की कमाई पाप में लगती है और पुण्य की कमाई पुण्य में लगती है
धर्म के क्षेत्र में आदमी खर्च करने में बहुत सोचता है लेकिन कर्म के क्षेत्र में बिना सोचे ही खर्च करता है
दान हमेशा वरदान बनता है
अगर आपने मन्दिर जी कोई दान दिया है तो यह भाव मत रखना कि मैने दान दिया है बल्कि यह सोचना कि हमे दान देने का सौभाग्य मिला है
जिसके सर पर गुरु का हाथ नही होता है वह सबसे बड़ा अभागा है