घटना के कुछ समय पहले आचार्य विमद सागर पिच्छी को जमा रहे थे, तभी कुछ लोग कमरे में आए, उस समय ही सब कुछ मानो हो गया, बड़े भाई पर आया किसका दवाब, जो लिया यू टर्नआचार्य विमद सागर की आत्महत्या में उनके सेवादार अनिल जैन से परदेशीपुरा टीआई पंकज द्विवेदी ने गोम्मटगिरि पहुंचकर डेढ़ घंटे बात की। इस दौरान उनके कथन भी दर्ज किए। 39 वर्षीय जैन निवासी बड़ा मलहरा ने टीआई को बताया कि वह 2013 से आचार्य के साथ हैं। उनकी सेवा के कारण शादी नहीं की। आचार्यश्री उनके गांव के पास के ही रहने वाले थे। वे 2 फरवरी को खातीवाला टैंक आए थे। जुलाई में गुमाश्ता नगर में चातुर्मास किया था। फिर महालक्ष्मी नगर और एयरपोर्ट रोड पर गए। इसके बाद नंदानगर स्थित आश्रम में आए थे। सेवादार ने कहा कि वह भी अनभिज्ञ हैं कि आचार्य ने ऐसा क्यों किया।
पहले दिन सेवादार ने टीआई को बताया कि घटना के कुछ समय पहले वह पिच्छी को जमा रहे थे, तभी आचार्य से मिलने के लिए कुछ लोग आए थे। आचार्य उन्हें लेकर कमरे में गए। थोड़ी देर बाद वे खुद साहित्य लेकर कमरे में गए तो आचार्य ने बाहर जाने को कहा था। जब दूसरे दिन टीआई ने बात की तो सेवादार ने कहा मैं तो कमरे में उस वक्त गया था, जब आचार्य अकेले थे। मिलने आए लोग निकल चुके थे। पुलिस का कहना है कि अभी सेवादार के कथन बाकी हैं। उसके बाद समाज से जुड़े लोगों के बयान लेंगे। पूछताछ में अभी तक कोई ठोस कारण सामने नहीं आया है।
आचार्य के बड़े भाई नहीं कराना चाहते जांच, टीआई को लिखा पत्र
आचार्य की आत्महत्या के मामले में सोमवार को नया मोड़ आ गया। उनके बड़े भाई संतोष जैन ने परदेशीपुरा टीआई को पत्र लिखकर जांच नहीं कराने की बात कही है। उन्होंने पत्र में लिखा- छोटे भाई के प्रति अधिक वात्सल्य होने के कारण उत्तेजना में कुछ शंकाएं जताते हुए जांच की मांग की थी। अब मैं स्थानीय पुलिस-प्रशासन की छानबीन से संतुष्ट हूं। मुझे इंदौर के किसी व्यक्ति या संस्था पर कोई शक नहीं है। गौरतलब है कि रविवार को आचार्य के अंतिम संस्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि आचार्य का एक हाथ टूटा था। वह सिर के ऊपर नहीं उठता था। ऐसे में वह 12 फीट ऊपर कैसे फंदा लगा सकते हैं। संत समाधि लेता है, आत्महत्या नहीं करता।