अच्छे कार्य मे हमेशा विघ्न आते है,बाधाएं आती ही है बुरे कार्यो में कभी बाधाएं नही आती है : आचार्य श्री विमदसागर जी

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श्री भक्तामर शिविर दिव्तीय दिवस
पावन सानिध्य :- श्रमणाचार्य श्री विमदसागर जी महाराज ससंघ
दिनांक 27 जुलाई 2021
काव्य न.2
यः संस्तुतः सकल -वाङ्मय- तत्व बोधा:
दुद्भूत -बुद्धि- पटुभि -सुर-लोक नाथै:
स्त्रोत्रेर्जगत-त्रितय-चित्त- हरैरुदारै:
स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम।।
अर्थ:- मानतुंगाचार्य स्वामी इस दूसरे काव्य में कह रहे है कि सम्पूर्ण श्रुतज्ञान से उत्पन्न हुई कुशलता से इन्द्रो के द्वारा तीन लोक के मन को हरने वाले गम्भीर स्त्रोत्रों के द्वारा जिनकी स्तुति की गई है उन प्रथम जिनेंद्र आदिनाथ भगवान की में स्तुति करता हु

श्री मानतुंगाचार्य जी द्वारा रचित श्री भक्तामर जी के दिव्तीय काव्य के प्रत्येक शब्द की व्याख्या आचार्य श्री विमदसागर जी महाराज के मुखारविन्द से श्रवण करने का समाजजनों को पुण्य लाभ मिल रहा है

आचार्य श्री ने कहा कि दूसरे नम्बर का काव्य सर्व विघ्न निवारक काव्य है

अच्छे कार्य मे हमेशा विघ्न आते है बाधाएं आती ही है बुरे कार्यो में कभी बाधाएं नही आती है
कोई व्यक्ति दीक्षा लेता है तो उसको लोग कहते है दीक्षा मत लेना बहुत कठिन मार्ग है जबकि कोई बुरा कार्य करता है तो हम कहते है उसकी वो जाने उसको कोई समझाता नही है
आदिनाथ भगवान जो समस्त शास्त्र के ज्ञाता थे तीर्थकर भगवान द्वादशांग के ज्ञाता होते है 11 अंग ओर 14 पूर्व का ज्ञान होता है सम्पूर्ण लोक अलोक को जानने वाले थे
अभी लोगो को ज्ञान है लेकिन अभी केवल ज्ञान नही है

जैसे पानी के दो भेद होते है एक मीठा पानी और एक खारा पानी इसी प्रकार ज्ञान के दो भेद है सम्यक ज्ञान और मिथ्या ज्ञान
मीठा पानी प्यास बुझाता है और खारा पानी प्यास बढ़ाता है इसी प्रकार सम्यक ज्ञान संसार घटाता है और मिथ्या ज्ञान संसार बढ़ाता है
गुरु बिना ज्ञान नही ओर भेद बिना चोरी नही
सम्यक्त्व को जाने बिना मित्यातव का ज्ञान नही हो सकता है

हमे किसी को मिथ्या द्रष्टि या सम्यक द्रष्टि कहने का अधिकार नही है जो भी बनता है वह अपनी अपनी श्रधान से बनता है
सम्यक ज्ञान के 5 प्रकार होते है (1) मति ज्ञान (2) श्रुत ज्ञान (3)अवधि ज्ञान (4) मनः प्रयय ज्ञान (5) केवल ज्ञान
पंचेंद्रियों के निमित से जो होता है वह मति ज्ञान है दुसरो के मन की बात जान लेना मन: प्रयय ज्ञान है मनः प्रयय ज्ञान मुनिराज को ही हो सकता है

भक्तामर शिविर में पुरुष वर्ग श्वेत वस्त्रों में एवम महिला वर्ग पीले वस्त्र में उपस्थित होकर शिविर का गौरव बढ़ा रहे है