जिस नगर एवम जिस कालोनी में मुनिराज नही आते है उस जगह के लोग संस्कार विहीन होते है “आचार्य श्री विमद सागर जी महाराज”

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परम् पुज्य गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य आध्यात्मिक प्रवचनकार अपनी प्रवचन शेली से सभी को झकझोरने वाले महातपस्वी मुनिराज परम् पुज्य आचार्य श्री विमदसागर जी महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में इंदौर में बहुत ही धर्म प्रभावना हो रही है

श्री दिगम्बर जैन चन्द्रप्रभु मंदिर राजेन्द्र नगर इंदौर में आचार्य श्री के मुखारविन्द से अमृतमयी देशना श्रवण करने का समाज जनो को सुअवसर प्राप्त हुआ
आज के मंगल प्रवचन के मुख्य अंश

पुण्य के फल से ही अरिहंत पद की प्राप्ति होती है संसार के जितने भी पद है वे एक न एक समस्या का कारण बनते है
हमे अध्यक्ष पद नही बल्कि अक्षय का पद चाहिये

सिद्ध पद अक्षय पद है जब निर्वाण होता है तब अरिहंत पद भी छूट जाता है
ये पद स्थायी नही है या तो पद छूट जाता है या फिर छोड़ना पड़ता है
दिगम्बर मुनिराज न धंधा करते है न चंदा करते है सिर्फ धर्म करते है
दुनिया में 5 पद ही श्रेस्ठ है अरिहंत पद, सिद्ध पद, आचार्य पद, उपाध्याय पद, एवम साधु पद
अगर आप किसी मंदिर के या संस्था के अध्यक्ष है तो आपको धर्म का सम्मान करना चाहिये
यदि हम हमारी जिम्मेदारी नही निभाते है तो ऐसे पदाधिकारी बनने से क्या फायदा
वे विरले होते है जो अपने पद की जिम्मेदारी निभाते है

नाम कमाने वाले नाम कमाते है और काम करने वाले पुण्य कमाते है
जो गरजता है वह बरसता नही है और जो बरसता है वह गरजता नही है
जिसकी सम्पति साधु सेवा में नही लगती है उसकी सम्पति कचरे के समान है
अगर आपके पास धन है ओर तन भी है तो इनके उपयोग के लिये मन भी होना आवश्यक है
तन,मन और धन तीनो चीज मिलना बहुत दुर्लभ है बहुत कठिन है
जो तुम्हारे पास दौलत है वह किसी न किसी संत की बदौलत है

किसी के तन भी होता है और धन भी होता है लेकिन मन नही होता है
सच्चा पुण्य वही है जिससे शास्वत अविनाशी पद की प्राप्ति हो
जिस कालोनी या नगर में साधु नही आते है वहा की समाज भर्स्ट है संस्कार विहीन है
वहा की समाज के युवाओं को तुवर की दाल में प्याज का छोका लगा मिल जाये तो कहेंगे यही स्वर्ग है और मूंग की दाल और लोकी की सब्जी मिले तो कहेंगे यही नरक है
हमे गर्व है कि हमने ऐसे कुल में जन्म लिया है जिस कुल में दिगम्बर मुनि आहार चर्या करने आते है
उन हाथों का दुर्भाग्य है जिन हाथों को भगवान के अभिषेक, पूजन एवम मुनिराज को आहार देने का शोभाग्य नही मिलता है
मोदी जी कहते है स्वच्छ भारत अभियान ओर में कहता हूं स्वच्छ शरीर अभियान
जहाँ जहाँ साधु है वहा वहां धर्म है और जहाँ जहाँ धर्म है वहाँ वहां साधु है

साधु का कमंडल हाथ मे आये बिना बोतल ही हाथ मे आती है