संयम लेना सरल है पर पालना बहुत कठिन है : गणिनी आर्यिका रत्न विज्ञाश्री माताजी – ब्रह्मचारिणी मधु दीदी बनी आर्यिका ज्ञेयक श्री माताजी

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फागी /जयपुर, प. पू. भारत गौरव गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के कर कमलों द्वारा दशहरा के शुभ अवसर पर ब्र.मधु दीदी (मालपुरा निवासी) को दी गई भव्य जैनेश्वरी दीक्षा ,

इस दीक्षा महोत्सव के अंतर्गत नये नये कार्यक्रमों की तारम्यता चलती रही, 14 अक्टूबर के सुबह दीक्षार्थी बहन को आहार चर्या का अभ्यास कराया गया। दोपहर में दीक्षार्थी बहन द्वारा गणधर वलय विधान संपन्न हुआ और शाम को धर्म प्रभावना हेतु भव्य बिंदोरी यात्रा बड़ी धूमधाम के साथ निकाली गई। इस अवसर पर श्रावकों ने दीक्षा महोत्सव की भूरी-भूरी प्रशंसा करके पुण्यार्जन किया ता.15 अक्टूबर को दशहरा के पावन अवसर पर सुबह 5 बजे से दीक्षार्थी का केशलोंचन हुआ।

दोपहर 1 बजे से भव्य जेनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ ,महोत्सव की शुरुआत दीपप्रज्वलन, मंगलाचरण के साथ हुई। इस अवसर पर पिच्छी भेंटकर्ता -दिनेश संजय ,मनीष बाकलीवाल, टोंडारासिंह,कमण्डल भेंट कर्ता-सुभाष ,राहुल ,राजेंद्र विपिन जैन टोडारायसिंह वाले दुर्गापुरा जयपुर, शास्त्र भेंटकर्ता-मुन्नादेवी छाबड़ा मालपुरा, गुरु मां के पादप्रक्षालन -कुन्दनमल सोहनलाल काला डीमापुर और पूरी समाज को और बाहर से आये भक्त गणों को गुरु माँ का भव्य मंगल मय आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
पुज्य गुरु मां ने दीक्षार्थी को सम्बोधन करते हुये कहा – जिस प्रकार फूलों का सार इत्र है उसी प्रकार से मनुष्य पर्याय का सार संयम है मनुष्य पर्याय की सार्थक आज आप प्राप्त कर रही है

संयम लेना सरल है पर पालना बहुत कठिन है इसलिए तुम अपना संयम अच्छे से पालना करो, ऐसा आशीर्वाद दीक्षार्थी को दिया और 28 मुलगुणो के संस्कार देकर संयम रूपी 16 श्रृंगार से सजाया और उनका नामकरण हुआ आर्यिका 105 ज्ञेयक श्री माताजी | इस कार्यक्रम में दूर-दूर के लोगों ने आकर चार चांद लगाया और आर्यिका श्री ने संपूर्ण विवेकविहार ,समाज को मंगलमय आशीर्वाद दिया।

राजाबाबू गौधा