ज्ञान की चोट ही जीवन को बदलती है,धर्म की ज्योति ही शीतल सलिल होती है,अज्ञान को हटाने का नित्य पराक्रम करें,दृष्टि तो जीवन में सृष्टि बदल देती है:आर्यिका विज्ञा श्री

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भारत गौरव गणिनी आर्यिका 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ के पावन सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आज ज्ञान कल्याणक की क्रियाएं हुई

जयपुर/भारत गौरव गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञा श्री माताजी स संघ के पावन सानिध्य में आज श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन बगरूवालान मंदिर में चल रहे भव्य पंचकल्याणक महोत्सव में आज ज्ञान कल्याणक की क्रियाएं हुई।

जैन समाज के मीडिया प्रवक्ता राजाबाबू गोधा ने अवगत कराया कि इससे पूर्व आज जिनालय में प्रातः श्री जी का अभिषेक, शांतिधारा ,एवं अष्टद्रव्यों से पूजा के बाद पंचकल्याणक के अंतर्गत आज मुनि चंद्रप्रभ सागर की आहार चर्या संपन्न हुई जिसमें हजारों श्रद्वालुओं के द्वारा आहार दिये जाने की क्रियाऐ दिखाई गई और चंद्रप्रभ सागर को प्रथम आहार देने का सौभाग्य पंचकल्याणक में भगवान के माता-पिता नंदकिशोर – कांता देवी पहाड़िया को प्राप्त हुआ, तथा मध्य काल में भगवान के ज्ञान कल्याणक की झलकियां दिखाई गयी,एवं समोशरण की भव्य रचना की गयी जिसमें विराजित गुरु मां ऐसी लग रही थी मानो साक्षात तीर्थंकर विराजमान हो और दिव्य देशना देते हुए गुरु मां ने कहा केवल ज्ञानी नहीं ,केवलज्ञानी बनो क्योंकि भगवान को ऐसे ज्ञान की प्राप्ति होती है जिसमें संपूर्ण लोक स्पष्ट झलकते हैं दर्पण पर तीनों लोक दिखाई देते है।

ज्ञान कल्याणक के बारे मे आर्यिका श्री ने प्रकाश डालते हुए बताया कि ज्ञान की चोट ही जीवन को बदलती है,धर्म की ज्योति ही शीतल सलिल होती है,अज्ञान को हटाने का नित्य पराक्रम करें,दृष्टि तो जीवन में सृष्टि बदल देती है।माता जी ने कहा की हम भी पुरुषार्थ करे और अज्ञान को हटाये। कार्यक्रम समापन बाद आर्यिका श्री ने सभी भक्तजनों को मंगलमय आशीर्वाद दिया।

राजाबाबू गोधा जैन महासभा मीडिया प्रवक्ता राजस्थान