आचार्य श्री #विद्यासागरजी को मत करिए बदनाम, समाज को तोड़ने का ना करे काम

0
3124

सान्ध्य महालक्ष्मी / 25 जून 2021
आज जैन समाज को एक होने की जरूरत है, ऐसे में कुछ ऐसे पोस्टों को वायरल किया जा रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि आचार्य श्री विद्यासागरजी के पावन सान्निध्य में हुए नेमावर पंचकल्याणक में स्त्री अभिषेक की अनुमति दे दी।

आचार्य श्री को धन्यवाद देते हुए कहा जा रहा है कि श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के जन्माभिषेक कल्याणक के दिन पाण्डुकशिला पर इन्द्राणी के द्वारा भगवान (वास्तव में जिन बालक भगवान नहीं) के मस्तक पर केसर के कलश द्वारा अभिषेक करवा कर स्त्रियों द्वारा जिन प्रतिमा अभिषेक के समर्थन का संकेत दिया। महिलायें भगवान जी का अभिषेक अपने मंदिर जी या क्षेत्र पर कर सकती हैं।
इस संदर्भ में पावन कीर्ति महाराज के यू-ट्यूब से उस क्लिप को वायरल किया गया तथा एक पंथ के चंद लोगों ने उसे वायरल कर एक नये विवाद को जन्म दिया।

इस संदर्भ में चैनल महालक्ष्मी ने एक ऐपिसोड दिनांक 22 जून 2021 को जारी भी किया तथा पावन कीर्ति महाराज का फिर सान्ध्य महालक्ष्मी के पास फोन भी आया। उनसे हमने विनयपूर्वक कहा कि महाराज श्री, गलत बातों का तूल देना, समाज में विघटन पैदा करता है। इसी संदर्भ में प्रतिष्ठाचार्य श्री ब्र. जिनेश भैया का स्पष्टीकरण प्राप्त हुआ जो इस हू-बहू इस प्रकार है:-

मान्यवर महानुभाव!

परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य एवं आशीर्वाद से आयोजित श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव, सिद्धोदय तीर्थ, नेमावर में जन्मकल्याणक महोत्सव कार्यक्रम की विधि में ब्र. नरेश जी आदि के साथ विधिवत सम्पन्न करवा रहा था। सौधर्म इन्द्र, शची, ईशान इन्द्र पांडुकशिला के समीप थे। शची के द्वारा अष्ट गंध लेपन की क्रिया होती है। पुजारी सामग्री देर से लाया। सौधर्म इन्द्र और शची का कलश बदल गया। उसे व्यवस्थित कर शची से अष्ट गंध लेपन के लिए कहा। वह कुछ समझ नहीं पायीं, तो उनसे कहा आप अष्टगंध ऊपर से डाल दो। इस पर शची ने कलश में भरे अष्ट गंध को डाल दिया। सौधर्म इन्द्र ने अपनी शची की सहायता करते हुए अष्ट गंध का लेपन किया। बाद विधिवत जन्माभिषेक सम्पन्न हुआ। सिद्धोदय तीर्थ की परम्परा और आदिपुराण आदि के आलोक में मान्य क्षीरसागर के जल से हजारों लोगों ने अभिषेक किया। महिलाओं ने अभिषेक नहीं किया।

उबटन की क्रिया परदे में करायी जाती है। वहां भी परदा लगाया गया था, किन्तु पकड़ने वालों की असावधानी तथा अचानक आयी हवा के दबाव से वह परदा गिर गया। इससे लोगों में भ्रम की स्थिति बनी और कुछ पंथ वादियों ने जानबूझकर यह भ्रम फैलाया कि वहां पंचामृत अभिषेक हुआ और महिलाओं ने अभिषेक किया।

जो लोग अपनी कलुषित भावना से प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष आचार्य श्री को हानि पहुंचाना चाहते हैं, उनसे मेरा यही कहना है कि वे सत्य का अनुकरण करें। जो प्रतिष्ठाचार्य वहां नहीं थे वे भी अधूरा सत्य बताकर भ्रम को, पंथवाद को हवा दे रहे हैं, कृपया वे आगम, पुराण के साथ तथ्य रखें तो प्रसन्नता होगी।

मेरी आस्था और क्रिया जगजाहिर है, मैं उसी पर चलता रहूंगा। कृपया सभी सजग रहें और भ्रम से बचें।
– ब्र. जिनेश भैया, प्रतिष्ठाचार्य, अधिष्ठाता- वर्णी गुरुकुल, जबलपुर