22 सितम्बर: तीसरा समाधि दिवस : आचार्य श्री विद्यानंद जी : क्षुल्लक दीक्षा से समाधि तक का 76 वर्ष का सफर

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महामुनि आचार्य श्री विद्यानंद जी का परिचय

हम 95 वर्षीय संत का गुणानुवाद कर रहे है
जिनका जन्म सन 1925 में हुआ तथा समाधि वर्ष 2019 में हुई है

श्री सुरेंद्र से पूज्य क्षुल्लक श्री पाश्व कीर्ति जी सन 1925 से वर्ष 1946 तक

क्षुल्लक पद से मुनि श्री विद्यानंद जी
सन 1946 से सन 1963
आचार्य श्री विद्या नंद जी सन 1987 से सन 2019
श्रमण जीवन सन 1946 से सन 2019 तक सर्वाधिक साधु जीवन

जन्म
22 अप्रैल सन 1925 को शेडवाल कर्नाटक में श्री सुरेंद्र जी उपाध्ये का जन्म हुआआपके पिता श्री कालप्पा जी एवम आपकी माताजी श्रीमती सरस्वती जी की कोख से जन्म हुआ आपने लौकिक शिक्षा दान वड में प्राप्त की तरल ग्राम में संगीत का शिक्षण लिया
ग्राम के स्कूल में भाषा समस्या होने से शांति सागर आश्रम में शिक्षण लिया
सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया
शेडवाल में सन 1946 में आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी गुरुदेव का चातुर्मास हुआ

क्षुल्लक दीक्षा
फ़ागुन शुक्ला त्रयोदशी
आपने 15 अप्रैल 1946 को तम दडडी कर्नाटक में आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी से क्षुल्लक दीक्षा ली नाम करण
क्षुल्लक श्री पार्श्व कीर्ति वर्णी रखा गया

कण्णूर में वर्ष 1947 के चातुर्मास बाद आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी ने क्षुल्लक श्री को श्री शांति सागर आश्रम छात्रावास का अधिष्ठाता पद सम्हालने का आदेश दिया वर्ष 1948 से 1956 तक 8 वर्ष वही रहे
1957 का चातुर्मास श्री हुमचा जी मे किया 1958, 1959 सुजानगढ़ तथा अन्य स्थानों पर चातुर्मास कर क्षुल्लक श्री सन 1962 में दिल्ली में आचार्य श्री देशभूषण जी के शरण मे आये

मुनि दीक्षा
25 जुलाई 1963 को दिल्ली में आचार्य श्री देश भूषण जी गुरुदेव के कर कमलो से हुई नाम मुनि श्री विद्यानंद जी रखा गया
सन 1969 में हिमालय की और विहार किया
एक चातुर्मास श्रीनगर में किया
वर्ष 1971 का चातुर्मास इंदौर MP में किया
श्री महावीर जी मेरठ होते हुए सन 1974 में दिल्ली पुनः पधारे|

उपाध्याय पद

दिल्ली में आचार्य श्री देश भूषण जी ने दिल्ली में दिनांक 8 दिसम्बर 1974 को उपाध्याय पद दिया

ऐलाचार्य
दिनांक 17 दिसम्बर 1978 को दिल्ली में ऐलाचार्य पद दिया गया
वर्ष 1979 का चातुर्मास पुनः इंदौर में हुआ
20 जुलाई 1980 को श्री श्रवण बेलगोला प्रवेश किया

आचार्य पद
आचार्य श्री देश भूषण जी महाराज के आदेशानुसार संध ने दिल्ली में 28 जून 1987 को आचार्य पद दिया गया

महामस्तकाभिषेक में सानिध्य
आचार्य श्री विद्यानंदी जी ने सन 1981 में श्री बाहुबली भगवान के महामस्तकाभिषेक में ऐलाचार्य रहते हुए सानिध्य दिया

मध्यप्रदेश की इंदौर नगरी में श्री गोम्मट गिरी आपकी प्रेरणा से बनी है
आचार्य श्री विद्यानंद जी ने श्री बद्रीनाथ जी के दर्शन किये है

वर्ष 1990 में आचार्य श्री शांति सागर जी की अक्षुण्ण पट्ट परम्परा का पंचम पट्टाधि श पद आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी को लिखित गुरु आदेश से दिया गया तब आचार्य श्री विद्यानंद जी ने नूतन पिच्छी नए आचार्य श्री को भेज कर अनुमोदना औऱ आशीर्वाद दिया

2500 निर्वाण महोत्सव
24 वे तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी के 2500 निर्वाण महोत्सव कार्यक्रम में आचार्य श्री विद्यानंद जी का महत्वपूर्ण सहयोग एवम मार्गदर्शन रहा

समाधिमरण
जन्म वर्ष 1925 से वर्ष 2019 में 94 वर्ष पूर्ण होकर 95 वे वर्ष में 22 सितम्बर 2019 को उत्तम समाधि हुई है

भगवान गोम्म्टेश्वर बाहुबली भगवान के सहस्रत्राब्दि महामस्तभिषेक महोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सानिध्यता प्रदान की*।
परमपूज्य राष्ट्र्संत श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के दिशा-निर्देशानुसार भगवान महावीर का २५००वां निर्वाण महोत्सव राष्ट्रीय -अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नियोजित हो इसके के लिए व्यापक महोत्सव की योजनाएं तैयार की । जिनके प्रचार -प्रसार व सफल आयोजन ने राष्ट्रीय -अन्तर्राष्ट्रीय स्तर ख्याति अर्जित की। अनेक कार्यक्रम केन्द्रीय सरकार व राज्य सरकारों ने आयोजित किये, यह सभी कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्नता का श्रेय श्रर्द्धय आचार्यश्रीको ही है। आपकी प्रेरणा व आशीर्वाद से इन कार्यक्रमों की अभूतपूर्व सफलता मे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्रिरा गान्धी व प्रसिद्ध उद्योगपति स्वं़श्री शान्ति प्रसाद जी का विशेष योगदान रहा ।

इस अवसर पर विशेष रुप से सर्वत्र देश मे” धर्मचक्र” का भ्रमण किया गया जिसमें भगवान महावीर के सिद्धांतो व उद्देश्यों का प्रचार प्रसार किया गया तथा सर्वत्र देश के विभिन्न शहरों के मन्दिरों, चौहराओं, संस्थाओं में भगवान महावीर के उद्घोषणा, संदेंशो व सिद्धांतों की शिलापट् के कीर्ति स्तम्भ लगाये गये। भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबली का सहस्रत्राब्दि समारोह महामहोत्सव भी श्रद्धेय आचार्यश्री के दिशा -निर्देश मे ही सम्पन्न हुआ था, जिसे विश्व स्तर पर प्रसारित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय सरकार में माननीय प्रधानमन्त्री व राज्य सरकारों के मुख्यमंत्रीयो ने उपस्थित होकर अपनी सरकार से तन, मन, धन योगदान किया यह सब आचार्यश्री की प्रेरणा व आशीर्वाद से हुआ वह विश्व स्तर पर प्रतिफूलित सम्पन्न हुए ।

*आपको जैनागम की चलती फिरती लायब्रेरी,किंग ऑफ क्नॉलेज माना गया*।

*आध्यत्म जगत के अनेकानेंक दिग्गजों ने आपके ज्ञानामृत को पाया,स्व.पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी आपकी अनन्य परम भक्त थी,जो आपके ज्ञान बल से प्रभावित होकर समय समय पर आपके दिशा निर्देश से शासकीय कार्यक्रम व भगवान के नाम पर संस्थानों की स्थापना कर नामांकरण किया।

*आपकी महान उदारता के अनेक अत्यंत प्रेरणास्पद उदाहरण है
*ज्ञात इतिहास में एक श्रमण रूप में आप सर्वाधिक वर्ष से है इसीलिए आपको दीर्घकालीन महातपस्वी कहा जाता है*।

*आपकी साधना व साधक जीवन शाश्वत महातीर्थ सम्मेदांचल की तरह अटल, पवित्र,पूज्य है आपके दर्शन मात्र से किसी भी श्रावक के जीवन का महासौभाग्य है सकल जैन समाज भारत के प्रत्येक जैन बन्धु को ऐसे महातपस्वी के दर्शन कर सौभाग्य समझते थे।

गुरुवर के चरणों मे कोटिशः नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु
-राजेश पंचोलिया ,सनावद इंदौर 9926065065