सभी के वंदनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का चातुर्मास संभावित अंतरिक्ष श्री पार्श्वनाथ स्वामी जी से हुआ निश्चित

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26 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण त्रियोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आज रविवार को सावरखेड़, महाराष्ट्र में ऐलक श्री सिद्धांत सागर जी के संक्षिप्त प्रवचन का संकेत देखें, तो स्पष्ट लगता है कि अब आचार्य श्री रुकने वाले नहीं है। अगले 200 किलोमीटर तक और विहार के बाद, संभवत उनका चतुर्मास उसी स्थान पर होगा, जहां हमारे 23वें तीर्थंकर की प्रतिमा पिछले 41 वर्षों से आपसी विवाद के कारण सरकारी ताले में बंद है ।

समझ गए आप अंतरिक्ष श्री पार्श्वनाथ स्वामी जी की प्रतिमा ।

आज प्रवचन में ऐलक श्री सिद्धांत सागर जी महाराज ने कहा कि हमें अंतरिक्ष पार्श्वनाथ स्वामी के दर्शन करना है,पर मूल स्वरूप में जो प्रकृति ने बनाया है,जो दिगम्बर है,जिस स्वरुप में भगवान थे,ना कि नकली रूप में। आचार्य श्री का विहार इसी उद्देश्य से चल रहा है और अब चातुर्मास भी शिरपुर में होगा। सब दिगम्बर पंथवाद, संतवाद, संघवाद छोड़कर एक हो जाए तो अंतरिक्ष पार्श्वनाथ के ताले खुलने में देर नहीं लगेगी,अब आचार्य श्री जा रहे हैं ये उद्देश्य जरुर पूरा होगा और वो दिन आने वाला है जब दिगम्बर एक होकर भगवान के मूल स्वरुप में दर्शन करेंगे, शिरपुर गांव में पूर्णायु,हाथकरघा जैसे सर्वजनोपयोगी कार्यक्रम शुरु होंगे और कुंडलपुर जैसा विशाल भव्य नूतन जिनालय बनेगा। दिगम्बरा सहोदरा सर्वे का नारा फिर गुंजायमान होगा।

अब स्पष्ट लगता है कि आचार्य श्री महाराष्ट्र के मराठा क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद , सीधे अपना विहार को विराम अंतरिक्ष श्री पार्श्वनाथ स्वामी जीके शिरपुर में ही देंगे और विश्वास यही कर सकते हैं कि उनका यह चातुर्मास निश्चित ही हमारे विवाद को खत्म कर अंतरिक्ष तीर्थ के उद्धार में समर्पित हो जाएगा या यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि एलक श्री सिद्धांत सागर जी महाराज ने अंतरिक्ष पारसनाथ स्वामी जी के इस तीर्थ के उद्धार में अपने जीवन के कई दशक समर्पित किए हैं और वह लगातार विहार में आचार्य श्री के साथ है, जिससे इस बात की संभावना निश्चित हो रही है कि यह चातुर्मास आचार्य श्री का शिरपुर में होगा।

शिरपुर महाराष्ट्र अकोला रेलवे स्टेशन वाशिम रेलवे स्टेशन के पास है पर अंतिम समय में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि अनियत विहारी हैं और जहां रुक गए , वहीं चातुर्मास हो जाता है , जंगल में भी मंगल होते हुए सब ने देखा है।