युवाओं में नया जोश और जुनून जगाना ही नया वर्ष है, हैं। जेल के अंदर साधना हो रही है। यह हमने 70 सालों में नहीं देखा। यही नया वर्ष है: आचार्यश्री विद्यासागर

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कुण्डलपुर में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के नजरिए में युवाओं में नया जोश और जुनून जगाना ही नया वर्ष है। उनका मानना है कि जिस युवा में त्याग, तपस्या और समर्पण का भाव है, उसमें इन तीनांे शब्दों का प्रभाव और असर विशाल होगा। वही जीवन की उन्नति के शिखर पर पहुंचेगा।

क्योंकि यह बदलाव का समय है और हम सभी बदलाव के निकट से गुजर रहे हैं। जेल के अंदर साधना हो रही है। यह हमने 70 सालों में नहीं देखा। यही नया वर्ष है। दरअसल 75 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके आचार्यश्री के सानिध्य में देश में जेलों में सजा काट रहे कैदियों के जीवन में बदलाव लाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़े स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है।

कुंडलपुर में विराजमान आचार्यश्री ने बताया कि देश में सुधार तेजी से हो रहा है और इसके लिए हम काम कर रहे हैं। हमें ऐसा करके एक तरह से पूरे भारत को पलटाना है। इसमें युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि जेल के अंदर कैदी जीवन बदलने का काम कर रहे हैं। यह उनके लिए नए वर्ष का आगाज है।

उन्होंने कहा कि जेल के अंदर कैदी खादी बुनकर 15-15 हजार रुपए कमा रहे हैं। उनके परिवारों को मदद मिल रही है। जेल के अंदर जो बदलाव अब आ रहा है। यह सभी लोग देखकर प्रफुल्लित हो रहे हैं। बेरोजगार युवा बाहर रहकर जो कुछ नहीं कमा पा रहे हैं। उनसे ज्यादा जेल के अंदर कैदी कमा रहे हैं। मैंने अपने जीवन के 70 साल में इस तरह का बदलाव नहीं देखा। जेल के अंदर साधना हो रही है।

खादी जींस से लेकर साड़ियां तक कैदी बना रहे हैं और महीने में 20 से 25 हजार रुपए तक कमाने लगे हैं। जेल में हजारों लोग काम कर रहे हैं और हजारों को हम प्रेरित कर रहे हैं। देश के लिए यह नया वर्ष भी है और नया जोश भी। उन्होंने कहा कि जो हिंसा करके जेल गए और उनका परिवार से त्याग हो गया। उनके माता-पिता सोचते थे, क्या होगा उनके लड़के का। अब वह लड़के ही परिवार को पाल रहे हैं।

ऐसे में परिवारों के अंदर एक नया अपनापन आया है। भले वह जेल में कैदी है और अपनों से दूर है। लेकिन ऐसा काम करके उनके परिवार में फिर से अपनापन आ रहा है। वह भी खुश है और उसका परिवार भी खुश है।