श्रम करो जिससे भूख लगने लगे, इसी तरह धर्म ध्यान रूपी कसरत करो ,समता ध्यान रखो और उत्साह का विकास हो : आचार्यश्री विद्यासागर

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सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर में विराजमान संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने मंगल प्रवचन के माध्यम से भक्तों को इष्ट वियोग और अनिष्ट संयोग के विषय पर सार्थक ज्ञान दिया। आचार्यश्री ने कहा अनेक प्रकार के जो भाव पैदा होते हैं वो हमारी कमजोरी का प्रमाण है, इसको दूर करने आचार्यश्री ने आत्म ध्यान करने की बात कही।

दोनों परिस्थिति में ज्ञानी लोग न ही इष्ट का स्वागत करते हैं और न ही अनिष्ट का बहिष्कार करते हैं, यह सब हमारी भावनाओं का परिणाम है, जैसे औषधि से रोग ठीक हो जाता है पर कमजोरी जल्द नहीं जाती, जिसका एक अच्छा उपाय है कि श्रम करो जिससे भूख लगने लगेगी।

इसी तरह धर्म ध्यान रूपी कसरत करते रहने की सलाह दी। समता ध्यान रखना चाहिए और उत्साह का विकास होना चाहिए। आजकल जनता के पास उत्साह कम और उत्सुकता ज्यादा होती है जो गति को रोकने वाली वस्तु है, जबकि उत्साह और रुचि हो तो उत्प्रेरक का काम करते हैं।

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