सबको पता है कि नाखून में खून नहीं होता पर उसे देखकर शरीर में खून का पता लगाया जाता है,इसी तरह…. आचार्य श्री विद्यासागर जी

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श्री दिगंबर सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर में आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि नाखून में खून नहीं होता, खून तो नाखून के अंदर होता है, खून भीतर है फिर भी डॉक्टर या वैद्य मरीज का परीक्षण करते हुए अंगुलियों में कितना खून है, यह देखने के लिए नाखून को देखकर पता कर लेते हैं, सबको पता है कि नाखून में खून नहीं होता पर उसे देखकर शरीर में खून का पता लगाया जाता है।

इसी तरह साहूकार होने का सुख होता है पर वह सिर्फ़ कर्जदार गरीब के दुख में ही उसे सुख दिखता है, जो होता नहीं है। जिस प्रकार वक्ता अनुमान लगा लेता है कि सामने वाला अज्ञानी नहीं है पर उसे किस पक्ष का ज्ञान है वह जान लेता है।

आज के समय में वीतरागता दुर्लभ है क्योंकि वीतरागता को समझने के लिए वीतरागी बनना पड़ेगा। तौल, मोल और अनमोल की व्याख्या करते हुए आचार्य श्री ने बताया कि भगवान महावीर का कोई मूल्य नहीं है।

इसीलिए अनमोल हैं। पहले के लोग मरण से नहीं डरते थे लेकिन कर्ज से डरते थे। आचार्य श्री ने शब्द, अर्थ, ज्ञान, भाव और आत्मा के विषय पर सभी भक्तों को समझने और व्यवहार करने का संदेश दिया।

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