माता श्रीमंती कोई ऐसी-वैसी माँ नहीं, आचार्य विद्यासागर ,समयसागर और योगसागर जैसे रत्नों को जन्म देने वाली माँ है : मुनिश्री प्रमाण सागरजी

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वर्तमान समय में पूरे दिगम्बर जैन समाज में आचार्यश्री को भगवान् महावीर के रूप में माना जाता है। महाराज जी! तीर्थंकर की माता को तीर्थंकर के जन्म से पूर्व सोलह स्वप्न आते हैं, इसी प्रकार आचार्यश्री की माताजी श्रीमंती को भी आचार्यश्री के जन्म से पूर्व स्वप्न दिखाई दिया था, जिसमें उन्होंने दो मुनिराजों को जाते हुए देखा और उनको आहार करवाया। क्या वह पूर्व जन्म के संस्कार थे या आचार्यश्री का जन्म क्या कहता है ?)

इस संदर्भ में मुनिश्री प्रमाणसागरजी महाराज का समाधान :
देखिए, मैं आचार्यश्री को एक लोकोत्तर पुरुष के रूप में देखता हूँ । मेरा मानना है कि लोकोत्तर पुरुष को जन्म देने वाली माँ भी लोकोत्तर होगी, क्योंकि लोकोत्तर माँ ही लोकोत्तर सन्तान को जन्म दे सकती है। वह माता श्रीमंती कोई ऐसी-वैसी माँ नहीं, आचार्य विद्यासागर,समयसागर और योगसागर जैसे रत्नों को जन्म देने वाली माँ है।

उनके खुद के संस्कार बड़े अच्छे होंगे। कई भवों के संस्कार होंगे, वह संस्कार काम में आते रहे और साथ में जो जीव आने वाला है उसके नियोग से बहुत सारे संस्कार होंगे। आचार्य गुरुदेव आज जिस ऊँचाई तक पहुँचे हैं, मुझे ऐसा नहीं लगता कि इस ऊँचाई तक पहुँचने में केवल उनकी इस भव की साधना जुड़ी है। मुझे तो लगता है पिछले अनेक भवों से वह मुनि बन रहे होंगे और अब उनके ज्यादा भव नहीं बचे।

अगर चौथा काल होता तो मैं इसे उपान्त भव बोलता। तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध करके जाते और अगले भव में तीर्थंकर बन जाते। मुझे लगता है, अगले भव में वह एक बार मुनि बनेंगे, यही संस्कार उनके साथ जुड़ेंगे, किसी भी श्रुतकेवली के पादमूल में सोलह कारण-भावना भाएँगे, तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध करेंगे और उसके बाद के भव में तीर्थंकर बनकर मोक्ष चले जाएँगे। हमें ऐसी ही भावना भानी चाहिए।

मैं यह भक्तिभाव से नहीं बोल रहा हूँ, यह उनके व्यक्तित्व का प्रभाव है। आज का जो दिन है, पूरे देश में जिस तरह का उत्साह प्रकट हुआ, देश ही नहीं विदेश में भी, सब तरह की बातों को दरकिनार करते हुए लोगों ने जो अपनी श्रद्धाभक्ति की अभिव्यक्ति की है, वह अपने आप में असाधारण है।

आचार्य विद्यासागर भगवान् महावीर के ही लघुनन्दन हैं। हमें इन सबसे सीख लेकर जिनधर्म की ऐसी ही प्रभावना के लिए आगे बढ़ते रहना चाहिए।