आचार्य श्री विद्यासागर जी की स्वस्थता के बारे में उनके साथ परछाई की तरह सदा रहने वाले ब्र. सुनील भैय्या ने खुलासा किया- पूरी तरह स्वस्थ

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आचार्य श्री, चंद नहीं, लाखों लोगों की आस्था के केन्द्र हैं। हर भक्त यही जताते हैं कि हमारी आयु भी उनको लग जाये, शतायु हों, दीर्घायु हों।

सान्ध्य महालक्ष्मी / 22 दिसंबर 2021
संभवत: फरवरी 2022 में होने वाले ऐतिहासिक कुंडलपुर पंचकल्याणक महामहोत्सव के लिये जब वहां 200 से ज्यादा संत पहुंच चुके हैं और बड़े बाबा के दरबार में छोटे बाबा के समोशरण में हजारों भक्तों के साथ आनंद ले रहे हैं, वहीं चारों दिशाओं से संतों के पहुंचने के लिये लगातार विहार चल रहा है, ऐसे में हम पोस्ट और फिर बिना सत्यता को जाने खटाखट फॉस्ट फारवर्ड करने से जैन समाज मंगलवार 21 दिसंबर को एकाएक पूरी तरह हिल गया।

आधारहीन पोस्ट
इस पोस्ट में लिखा गया – ‘अभी-अभी समाचार मिला है कि गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने 24 अंजुलि पानी लेने का नियम ले लिया है। यह संकेत है कि वे सल्लेखना संथारा की ओर बढ़ रहे हैं एवं 108 मुनि श्री समय सागरजी महाराज को आचार्य पद देने का भी कुछ संकेत है। ऐसे आचार्य श्री के दर्शन अभी जो कर ले वही भाग्यवान है, आगे की भगवान की इच्छा।’

सरासर झूठ पोस्ट
इस पोस्ट में लिखा कि आचार्य श्री ने 24 अंजुलि पानी लेने का नियम लिया है। वंदनीय आचार्य श्री न मीठा, न नमकीन, न हरे फल सब्जी, न ड्राई फ्रूट लेते हैं, तो आहार के साथ काफी समय से 24 अंजुली पानी ही लेते आ रहे हैं। पर यह कह देना की वो सल्लेखना-संथारा की ओर बढ़ रहे हैं – यह सरासर झूठ है। जब किसी संत का स्वास्थ्य कमजोर पड़ता है, कोई गंभीर बीमारी घेर लेती है या उन्हें संकेत मिलते हैं कि अब आयु कर्म शेष नहीं, तब वे सल्लेखना (संथारा) की ओर बढ़ते हैं।

पूजनीय आचार्य श्री पूरी तरह स्वस्थ
यहां स्पष्ट कर दें, हमारे पूजनीय आचार्य श्री हम लोगों से हजार गुना मानसिक रूप से ही मजबूत हैं और तन से भी पूरी तरह स्वस्थ हैं, जिसको प्रत्यक्ष रूप से रोजाना उनके दर्शन, प्रवचन करते हुये देखते भी हैं। ऐसे में ऐसा लिखना पूरी तरह झूठ व निराधार है। उनकी स्वस्थता के बारे में सान्ध्य महालक्ष्मी को उनके साथ परछाई की तरह सदा रहने वाले ब्र. सुनील भैय्या ने सीधी वार्ता में खुलासा भी किया।

आधारहीन पोस्ट
इसके बाद यह लिखना कि आचार्य पद दे रहे हैं और उनके दर्शन अभी कर लें, समाज में चिंता की लकीरें बढ़ा देता है। इतना तो सच है कि उनके दर्शन करने वाले भाग्यवान हैं, यह सच है वो आज नहीं, 1968 में अजमेर में ली दीक्षा से ही, सौभाग्य का कारण हैं, पर उसको सल्लेखना से जोड़ना आधारहीन है।

पोस्ट करके भ्रामकता पैदा क्या कोई साजिश
तर्क-कुतर्क से देखें तो जो योग्य होगा, उन्हें उचित समय पर आचार्य पद दिया ही जाएगा, जैसे दादा गुरु आचार्य श्री ज्ञान सागरजी ने दिया था। पर इस तरह पोस्ट करके भ्रामकता पैदा करना, जैन समाज को जोर का धक्का लगाता है।

फारवर्ड करते इस पोस्ट में जोड़ दिया
यही नहीं, फारवर्ड करते इस पोस्ट में किसी के द्वारा मुनि श्री समय सागरजी के साथ मुनि श्री प्रणम्य सागरजी का नाम भी जोड़ दिया। संभव है वो मुनि श्री प्रणम्य सागरजी के खास भक्त हों। पोस्ट में यह भी लिखा है कि क्या सच है हम बतायेंगे।

सच्चाई जाने बिना फारवर्ड
इतना स्पष्ट कर दें कि आचार्य श्री, चंद नहीं, लाखों लोगों की आस्था के केन्द्र हैं। हर भक्त यही जताते हैं कि हमारी आयु भी उनको लग जाये, शतायु हों, दीर्घायु हों। ऐसे में ऐसी निराधार पोस्ट से होने वाले कार्यक्रम में रंग में भंग ना डालें, और आचार्य श्री के प्रति कोई भी आधारहीन पोस्ट न डालें, न ही सच्चाई जाने बिना फारवर्ड की जाये।

(इस बारे में चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 828 – आचार्य श्री पर फैली अफवाह, लिंक थोड़ा सच-पूरा झूठ https://youtu.be/gPgkHMR_9Zg पर विस्तार से देख सकते हैं। आप अपने विचार व्हाट्सअप नं. 9910690825 या मेल info@dainikmahalaxmi.com पर भेजिये कि ऐसे पोस्ट करना क्या दर्शाता है। )