22 जून 2023/ आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ डोंगरगढ़
संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि एक मार्ग में गाड़ियाँ आ – जा रही थी | तभी आगे वाली गाड़ी के पीछे कि नंबर प्लेट के ऊपर एक लाल लाइट जली | लाल रंग खतरे (Danger) का सूचक है | और जब एक गाड़ी दूसरी गाड़ी से आगे जाना चाहती है तो हॉर्न देते हैं और सामने वाला आगे बढ़ने का ईशारा करता है तब गाड़ी आगे जाती है |
इसी प्रकार कई गाड़ियों में दिन में भी लाइट चालू रखते हैं और जब सामने वाला ऊपर – निचे (Upper – Dipper) वाली लाइट से सिग्नल देता है तो वह पहले जिसने लाइट चालू किया उसकी गाड़ी पहले जाती है | लाइट भी कई प्रकार कि होती है – लाल, हरी, पिली आदि | आपको लाइट लाल दिख रही है जबकि उसके ऊपर का कवर लाल रंग का होता है और लाइट सफ़ेद ही होती है | उस लाल कवर के कारण ही आपको लाइट लाल नज़र आती है इसी प्रकार जितनी भी रंग कि लाइट आपको दिखती है वह उस कवर के रंग कि दिखती है अन्दर लाइट का रंग हमेशा सफ़ेद ही होता है |
इसी प्रकार यह शरीर कवर है और आत्मा इसकी लाइट है यह शरीर कई प्रकार का हो सकता है – मोटा, पतला, लम्बा, छोटा, सफ़ेद, काला, पिला आदि परन्तु इसके अन्दर जो आत्मतत्व विद्यमान है वह सभी का एक समान ही होता है |
आप लोग कहते हो कि महाराज जी आप पहले अच्छे दीखते थे अब आप वैसे नहीं दीखते हो तो हमने कहा आपने हमको अभी देखा ही कहाँ है जो आपको दिख रहा है वह तो मै हूँ ही नहीं मै जो हूँ उसे तो आप देख ही नहीं सकते | उसे देखने के लिये आपको अपना चस्मा (दृष्टिकोण) बदलना पड़ेगा | इस रहस्य को समझना बहुत कठिन है क्योंकि आज के समय में जो आपको इन आँखों से दीखता है उसे ही आप लोग सब कुछ मानते हो जबकि जो आपको नहीं दीखता वही सब कुछ है |
निशांत जैन डोंगरगढ़