आचार्य कुशाग्रनंदी के सानिध्य में मुनि अजय ऋषि व अरिहंत ऋषि का गुरुपुष्यामृत योग पर विशेष मंत्र संस्कारों के साथ नवीन नामकरण और विचारपट्ट की उपाधि

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19 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण षष्ठी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
उदयपुर | पायड़ा स्थित पद्मप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य कुशाग्रनंदी के सानिध्य में रविवार को मुनि अजय ऋषि व अरिहंत ऋषि का गुरुपुष्यामृत योग पर विशेष मंत्र संस्कारों के साथ नवीन नामकरण और विचारपट्ट की उपाधि दी । उन्हें आचार्य ने मुनि अजयदेव व भट्टारक देवेंद्र विजय नाम की उपाधि प्रदान की ।

प्रचार संयोजक संजय गुड़लिया व दीपक चिबोड़िया ने बताया कि भट्टारक पीठ पर अरुड़ होने के पूर्व विचारपट्ट की घोषणा होती है । इसका अर्थ है की पट्टाभिषेक के पूर्व की गुरु – दीक्षा लेना । गुरुदेव ने कहां बहुत जल्द देवेंद्र विजय का पट्टाभिषेक कराया जाएगा और आचार्य के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में समाज और देश के लिए कुछ विशेष तीर्थ जहां सेवा साधना संस्कृति का महाकुंभ होगा ऐसा ऐतिहासिक तीर्थ निर्माण होगा ।

वहां पर एक दिगंबर जैन भट्टारक पीठ का निर्माण होगा । जो उस पूरे तीर्थ का संचालन करेगा उस पीठ पर विचारपट्ट देवेंद्र विजय महाराज को आसीन किया जाएगा । इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज ने कहा कि हमें जो यह मनुष्य भव मिला है , हमने अपने जीवन के बारे में कभी चिंता नहीं की जीवन कभी समाप्त नहीं होता , शरीर समाप्त हो जाएगा लेकिन आत्मा अजर अमर है ।

पिंकसिटी बुलेटिन से साभार