10 दिसंबर 2022/ पौष कृष्णा दूज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
उपभोक्तावादी संस्कृति की चकाचौंध में जहां युवा लाखों और करोड़ों रुपए के पैकेज की ओर भाग रहा है। एशो-आराम और भौतिक वस्तुओं की चाह में रात-दिन एक किए हुए है। वहीं एक ऐसा भी युवा था जिसने आत्म उत्थान और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए एक करोड़ रुपये के पैकेज को पल भर में त्याग दिया। यह शख्स था शैलेष जैन जो वर्तमान में दिगंबर मुद्रा धारण कर मुनिश्री वीरसागर महाराज बना। उन्होंने संत शिरोमणि आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी महाराज से दीक्षा ग्रहण की।
वर्ष 2004 में शैलेष बॉम्बे के स्टॉक एक्सचेंज में कन्सलटेंट फर्म में सर्विस पर थे। तब वह 1 करोड़ रूपए के सालाना पैकेज पर कार्य कर रहे थे। वहीं उनके छोटे भाई निलेश जैन बॉम्बे में रिलायंस जियो के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट है।
वर्ष 1994 में नागपुर से शैलेष ने कैमिकल इंजीनियरिंग का कोर्स किया। इसके बाद उन्होंने एमबीए इन फाइनेंस व चार्टर्ड फाइनेंशनल अकाउंटेट (सीएफए) किया। इसके बाद वह बॉम्बे में एक कन्सलटेंट फर्म में सर्विस पर लगे। 31 वर्ष की आयु में उन्हें वैराग्य हुआ और आत्म उत्थान की लगन जागी।
आज शैलेष की दैनिक जीवन चर्या बिल्कुल बदल गई है। एक समय भोजन-पानी वह भी नियम से। सर्दी,गर्मी,वर्षा में दिगम्बर रहकर साधना करना, अपने सिर व मुँह के बालो को हाथो से तोड़ना यहाँ तक की भयंकर सर्दी में चटाई तक नहीं बिछाते, पूरे भारत की यात्रा नंगे पैर करना,.. एक समय बड़े बंगलो में AC के बीच रहने वाले शैलेष मुनि वेश में कभी जंगल में एक छप्पर के घर में रुकने में परहेज नहीं करते। इतना कठिन जीवन होते हुए भी मुख मुद्रा स्वर्ग के देव सी लगती है।