एकमात्र तीर्थंकर जिनके पांचों कल्याणक एक ही नगर में और सबसे पहले बाल ब्रह्मचारी तीर्थंकर जिनका जन्म और तप कल्याणक 19 फरवरी को

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18 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण त्रयोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
24 तीर्थंकरों में से एकमात्र तीर्थंकर है 12 वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी जी जिनके पांचों कल्याणक गर्भ, जन्म , तप, ज्ञान, मोक्ष एक ही जगह चंपापुर में हुए । आप पहले बाल ब्रह्मचारी तीर्थंकर भी है ।महाराजा वसुपूज्य की महारानी विजया के गर्भ से आपका जन्म, फागुन कृष्ण चतुर्दशी को, (जो इस वर्ष 19 फरवरी को है) , हुआ।

आपकी आयु 72 लाख वर्ष की थी और कद था 420 फुट उत्तंग । केसर के समान वर्ण और 18 लाख वर्ष आपका कुमार काल में बीता। आपने राजपाट नहीं किया और श्रेयांसनाथ भगवान जी के मोक्ष जाने के 72 लाख वर्ष कम 54 सागर बीत जाने के बाद आपका जन्म हुआ था।

जाति स्मरण से फागुन कृष्ण चतुर्दशी को ही, आपको वैराग्य की भावना बलवंत हो गई और पुष्पा पालकी से आप चंपापुर के मनोहर वन में कदंब वृक्ष के नीचे पंचमुष्टि केश लोंचकर कायोत्सर्ग मुद्रा में तप धारण करने लगे। आपको देखते हुए 676 राजाओं ने भी दीक्षा ली और 1 वर्ष के कठोर तप के बाद आपको केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई। बोलिए 12वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी जी के जन्म और तप कल्याणक की जय जय जय।

19 फरवरी ,दिन रविवार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी जैनधर्म के 12 वें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी का आज जन्म कल्याणक है, आज के ही दिन चम्पापुर मैं मातारानी जयावती ने तीर्थंकर को जन्म दिया था |

एवं तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी का आज तप कल्याणक भी है, आज के ही दिन चम्पापुर मैं पूर्व जन्म के स्मरण से वैराग्य हुआ , संध्या के समय विशाखा नक्षत्र में 676 राजाओं के साथ जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण की |