24 तीर्थंकरों में से एकमात्र तीर्थंकर है 12 वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी जी जिनके पांचों कल्याणक गर्भ, जन्म , तप, ज्ञान, मोक्ष एक ही जगह चंपापुर में हुए । आप पहले बाल ब्रह्मचारी तीर्थंकर भी है ।महाराजा वसुपूज्य की महारानी विजया के गर्भ से आपका जन्म, फागुन कृष्ण चतुर्दशी को, जो इस वर्ष 1 मार्च को है , हुआ।
आपकी आयु 7200000 वर्ष की थी और कद था 420 फुट उत्तंग । केसर के समान वर्ण और 1800000 वर्ष आपका कुमार काल में बीता। आपने राजपाट नहीं किया और श्रेयांसनाथ भगवान जी के मोक्ष जाने के 7200000 वर्ष कम 54 सागर बीत जाने के बाद आपका जन्म हुआ था।
जाति स्मरण से फागुन कृष्ण चतुर्दशी को ही, आपको वैराग्य की भावना बलवंत हो गई और पुष्पा पालकी से आप चंपापुर के मनोहर वन में कदंब वृक्ष के नीचे पंचमुष्टि केश लोंचकर कायोत्सर्ग मुद्रा में तप धारण करने लगे। आपको देखते हुए 676 राजाओं ने भी दीक्षा ली और 1 वर्ष के कठोर तप के बाद आपको केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई।
बोलिए, 12वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी जी के जन्म और तप कल्याणक की जय जय जय।