प्रवीन कुमार जैन/6 जुलाई 2022/ आषाढ़ शुक्ल सप्तमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
मंगल घड़ी आई है, सूरजमल विहार में खुशियां छाई है
सूरजमल विहार। रविवार 03 जुलाई को आचार्य श्री प्रज्ञ सागरजी मुनिराज का चातुर्मास हेतु सूरजमल विहार में भव्यता से हुआ। प्रात: 7.30 बजे गाजे-बाजे के साथ पूरा सूरजमल विहार समाज बाहुबलि एन्क्लेव में उमड़ पड़ा और प्रवेश के लिये पीत (पीले) वस्त्रों में बैंडबाजा, घोड़े, बच्चे, महिलाएं-पुरुष भक्ति में सराबोर भव्य शोभायात्रा के रूप में चल रहे थे। सूरजमल विहार के प्रत्येक जैन घर के आगे रंगोली बनाई गई, तोरण द्वारा लगा गये। हर चौराहे पर महिला मंडल अपने पारंपरिक मंदिर वेशभूषा में कहीं सिर पर कलश लेकर, कहीं चंवर ढोते हुए मंगल गीत गा रही थी, गजब का अद्भुत उत्साह था। जगह-जगह पाद प्रक्षालन आरती से मुनिराज का भव्य स्वागत किया। मंदिर के प्रवेश द्वारा पर 24 थालों में पाद प्रक्षालन करते हुए समाज ने मुनिराज का मंगल प्रवेश कराया। मंगल प्रवेश के समय पीतमपुरा, प्रशांत विहार, रोहिणी, राणा प्रताप बाग, राजा बाजार, न्यू रोहतक रोड, दरियागंज आदि अनेक स्थानों से गणमान्य लोग पधारे और आचार्य श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। अनेक महिला मंडल, जियो ग्रुप, यमुनापार की संत सेवा समिति, दिल्ली प्रदेश आदि मंडलों ने मंगल प्रवेश में भाग लिया।
धर्मसभा का मंच संचालन श्री रमेश जैन ने करते हुए मंगल गीत से गुरुदेव की भक्ति की और कहा कि महाराजश्री के सान्निध्य में जितने भी यहां कार्यक्रम होंगे, वे सुपरहिट होंगे। सभी के पीछे प्रमुख उद्देश्य गुरुवर की भक्ति और धर्म प्रभावना रहेंगे। उन्होंने कहा कि पावन मंगल बेला का आगमन हुआ है, आचार्य श्री का 24वां चातुर्मास हो रहा है। ज्ञान वात्सल्य की 24 घंटे बरसात होगी। प्रधान श्री संजीव जैन ने कहा पूरी कमेटी किसी भी इंतजाम में कोई कमी नहीं छोड़ेगी, समाज को चातुर्मास का पूरा लाभ मिले, यह सुनिश्चित करेंगे।
श्री पवन गोधा ने कहा कि आज मंगल प्रवेश में महिलाएं तो एक ड्रेस में नजर आ रही है, अगर पुरुष भी सफेद ड्रेस में होते तो और भव्यता आती। उन्होंने कहा सूरजमल विहार के साथ अनेक विहार जुड़े हैं, इससे यह दिल्ली का नं.1 चातुर्मास हो सकता है। जिन आचार्य का यहां चातुर्मास है, वे भगवान महावीर के संदेशों का प्रचार पूरे देश ही नहों पूरे विश्व में कर रहे हैं। आप सब लोग इस चातुर्मास को भव्यातिभव्य मंगल बनाएंगे, ऐसी आशा करते हैं।
श्री भक्तामर मंडल, सूरजमल विहार ने स्वागत गीत में कुछ इस तरह भक्ति की –
मंगल घड़ी आई है, सूरजमल खुशियां लाई है।
मेरी कुठरी में आये मुनिराज, म्हारो मन नाचे रे।
आये प्रज्ञ सागर गुरु आज, हमारा मन नाचे रे।
आचार्य श्री प्रज्ञ सागरजी ने अपने मांगलिक उद्बोधन में कहा कि भगवान आदिनाथ ने श्रावक-श्रमण आचरण संहिता तैयार की। उसी श्रावक के एक संविधान में कहा है कि तुम्हारे पुण्य से नगर में साधु का आगमन होता है, तो तुम्हारा कर्तव्य है कि उस दिगंबर मुद्रा धारी महामुनिराज का भक्ति भाव से यथाविधि से भव्य स्वागत होना चाहिये। घर-घर, नगर-नगर, डगर-डगर विचरण के पश्चात यह मंगल प्रवेश हुआ है। यदि साधु कहीं एक मंदिर, एक स्थान से दूसरी जगह जाते हैं तो उन्हें जबर्दस्ती नहीं रोकना। भक्ति करना, उनको जाने देना, क्योंकि विश्व में एक ही चीज है जिनका जाना भी, आना भी मंगल होता है। जाते वक्त इसी तरह खुशी-खुशी विदा करना और जहां भी दिगंबर साधु की आहारचर्या का मौका मिले, नवधाभक्ति पूर्वक आहारदान देना। वह घर मंदिर बन जाया करता है, जहां मुनियों का आहार होता है और मुनि के आहार से शेष को ग्रहण करने से श्रावक को समस्त सुखों की प्राप्ति और मोक्ष प्राप्त होता है। ध्यान रखना वही व्यक्ति उस शेष आहार को ग्रहण करता है जिसे मुनि पर आगाध श्रद्धा होगी। उस भक्त को भोजन से नहीं, मुनि से लगाव होता है। उसे हर भव में मुनि मिलेंगे और निश्चित रूप से वह मोक्ष प्राप्त करेगा। चातुर्मास में श्रावक का धर्म ध्यान, मोक्ष का साधन है।
आचार्य श्री ने कहा कि हमें इस चातुर्मास में संकल्प लेना है कि भगवान महावीर का 2550वां निर्वाणोत्सव महामहोत्सव के रूप में उत्साहपूर्वक मनाएंगे, जिसकी गूंज पूरे विश्व में पहुंचे। हमारी पहचान है तो भगवान महावीर स्वामी से है। हम भगवान आदिनाथ के वंशज है लेकिन संतान भगवान महावीर की हैं। उन्होंने सभा में मौजूद महिलाओं और पुरुषों से आह्वान किया कि चातुर्मास में होने वाले प्रवचनों में बहु-बेटों को भेजना भले ही आप लोग घर-आफिस के कार्य में लगे रहना। आज परिवर्तन की आवश्यकता है, नई पीढ़ी को धर्म से जोड़ना है। बहुत हर्ष की बात है कि यहां बहुओं का आदर्श मंडल बनाया गया है। महाराजश्री ने कहा कि इस चातुर्मास का श्रेय रमेश जी और संजीव जी को जाता है, जो राजा बाजार से अनवरण लगे रहे, उनका जुनून था कि यह चातुर्मास होना ही। जब व्यक्ति लगन से लगता है तो सफलता मिल ही जाती है। अंत में महाराजश्री ने इन शब्दों से सभा का समापन किया –
लगन तुमसे लगा बैठे, जो होगा देखा जाएगा।
ऐसी लगन जब प्रभु से लग जाती है, जो होगा देखा जाएगा।
चाहे अब कोई रूठे, कोई छूटे, जो होगा देखा जाएगा।
10 जुलाई को वर्षोयोग स्थापना समारोह
सूरजमल विहार के चातुर्मास स्थापना का सामाजिक समारोह रविवार 10 जुलाई को प्रात: 9.30 बजे से वातानुकूलित तॉयल फार्म एंड रिसोर्ट, सीबीडी ग्राउंड में होगा। 108 महिलाएं वर्षायोग के मंगल कलश मस्तक पर रख कर चलेंगी। समारोह में बहुचर्चित भाजपा नेता श्री मनोज तिवारी भ. महावीर के 2550वें निर्वाणोत्सव पर बनाये गये अपने गीत को लांच करेंगे, तो क्षेत्र के सांसद श्री गौतम गंभीर भी कार्यक्रम में भाग लेंगे। क्षेत्र के कर्मठ समाजसेवी श्री राहुल जैन ने श्री राजनिवास गोयल के आने की स्वीकृति दिलवाई है, साथ ही डुपलीकेट अमिताभ बच्चन भी आने वाले हैं। इस तरह भक्ति, राजनीति, मनोरंजन और धर्म तीनों का अनोखा मिश्रण देखने को मिलेगा। आचार्य श्री ने बताया कि आगम में वर्षायोग स्थापना चतुर्दशी में प्रथम पहर में की जाती है, इसलिये अपनी आंतरिक क्रियाएं, दिशाबंधन, भक्ति आदि वे 12 जुलाई को रात्रि में करेंगे।