चातुर्मास :दुनिया का सबसे बड़ा पर्व है, त्यौहार है, धर्म का उपहार है, चातुर्मास में क्या करें और क्या न करें? : आचार्य श्री सुनील सागर जी

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29 जून 2023/ आषाढ़ शुक्ल एकादशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
चातुर्मास पर्व दुनिया का सबसे बड़ा पर्व है, त्यौहार है, धर्म का उपहार है। चातुर्मास का साधारण अर्थ चार माह है। अर्थात् धर्माराधना के चार माह जीव दया के चार माह, तपस्या के चार माह त्याग के चार माह । एक वर्ष के बारह महिनों में से शीत व ग्रीष्म के आठ महिनों में जीवोत्पत्ति कम होती है । किन्तु वर्षा के चार महिनों में बहुत होती है। किसी जीव का घात न हो जाए, सूक्ष्मजीवों को भी बाधा न पहुंचे इसीलिए साध जन आठ माह तो विहार करते हैं, किन्तु चार महिने के लिए स्थिर होकर धर्म प्रभावना आत्मसाधना करते है । एक समय था जब साधारण श्रावक भी आठ महिने कमाता और चार महिने शांति से बैठकर धर्म का त्योहार मनाता, आत्मविकास हेतु पुरूषार्थ करता। वह आज भी आवष्यक है।

भारत की प्रायः सभी संस्कृतियों में, संप्रदायों में चातुर्मास की मान्यता है। बैदिक ऋषि भी चातुर्मास करते थे, गौतम बुद्ध ने भी चातुर्मास किए। पुराण साहित्य में वनवास के अवसर पर राम के भी चातुर्मास करने के उल्लेख मिलते है। जैन मुनि तो सीधे वर्षा योग ही धारण कर लेते थे । चार माह आहार-विहार आदि का त्याग कर एक स्थान पर ही दीर्घकालीन ध्यान करते थे।

जिसे वर्षायोग कहा जाता था। चातुर्मास काल वास्तव में साधना का काल है। इन मासों में आत्मकल्याण हेतु प्रयत्न करना चाहिए, वैसी शिक्षा और तत्वज्ञान प्राप्त करना चाहिए, जिससे आत्महित सधे । यह संभव भी है, क्योंकि ज्ञानी तपस्वी एक ही स्थान पर चार माह तक ठहरते हैं और मुमुक्षु आसीन से उनका सानिध्य पा सकता है। चातुर्मास मौज मस्ती का पर्व बिल्कुल नहीं है। यह समय केवल बाह्य प्रभावना व मनोरंजन के लिए नहीं है। आत्माराधना तत्वज्ञान के लिए है ।

चातुर्मास में क्या करें और क्या न करें?

यह समझ होना जरूरी है। इस सम्बन्ध में यहां कुछ बिन्दु देखिए-

चातुर्मास में क्या करें ।

1. आत्महित को लक्ष्य में रहते हुए, जागने से सोने तक को क्रमिक सारणी तैयार कर तदनुसार प्रवृत्ति करें

2. तत्वचर्चा, शास्त्रवण और ज्ञानियों के प्रवचन निष्पक्ष बुद्धि से श्रमण करें, वैसे बने।

3. सत्संग अत्यंत प्रभावक होती है, अतः ज्ञानी पुरुषों, साधु- संघों की संगति व वैयावृत्ति अवष्य करें।