#वर्षायोग स्थापना में आ रही बड़ी धनराशि, क्या उसका हम समुचित तरह से उपयोग करेंगे या फिर….

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20 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आप सभी के सहयोग से चैनल महालक्ष्मी इस वर्षायोग के चार माह के अंदर चल अचल तीर्थों की सुरक्षा पर समर्पण और संकल्प का अनुरोध करता है ।

वर्षायोग की स्थापना जगह जगह चल रही है और एक बड़ी राशि समाज में धनी लोगों से एकत्रित भी हो रही है । इस बारे में एक पोस्ट सोशल मीडिया पर जो चल रही है , उसे यहां दे रहे हैं ।विषय गंभीर है और निश्चित ही चिंतनीय है। समाज को मात्र कुछ उद्देश्यों की बजाए, बहुउद्देशीय बनना होगा और समाज में चल रही समस्याओं का निराकरण करना भी जिम्मेदारी और कर्तव्य के साथ उसका वहन करना होगा।

चातुर्मास समितियों से एवम उन अतिउत्साही बंधुओं से जो चातुर्मास कलश बोलियों का प्रचार करते है….क्या चातुर्मास समाप्ति के पश्चात यह बताने का कष्ट करेंगे कि प्राप्त राशि में से निम्न कार्यों पर कितना खर्च किया गया? :-
https://www.channelmahalaxmi.com/varshayog-6/ via @Channel Mahalaxmi
1. महंगे वातानुकूलित टेंट, लाइटिंग, जेनरेटर, मंचो की सजावट आदि पर
2. महंगे साउंड सिस्टम, भजन गाने वाली पार्टी, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, बड़ी स्क्रीन लगाने में
3. आने वालों को पंच सितारा बढ़िया भोजन व आवास व्यवस्था उपलब्ध कराने में
4. महंगे रंगीन कार्ड, पोस्टर, होर्डिंग्स, चैनलों पर टेलीकास्ट आदि में
5. सम्मान करने में महंगे प्रतीक चिन्ह, शाल, माला आदि में
6. म्यूजिकल भजन संध्या, कवि सम्मेलन, नाटकों आदि में
7. शोभा यात्राओं में अपने समाज के कम लेकिन ज्यादा बैंड-बाजे, हाथी, घोड़े, बग्गी, किराये की झांकियों, नफ़ीरी, करतब दिखाने वालों पर
8. बोलियों की राशी को ऊंचाई तक ले जाने हेतु अन्य शहरों से बुलाये गए स्पेशलिस्ट व कार्यक्रमों के संचालन हेतु एंकर
अथवा?
1. प्राचीन तीर्थों के जीर्णोद्धार पर
2. समाज के निम्न वर्ग के लोगो को आवास या व्यापार हेतु ऋण, बच्चों की पढाई या कन्याओं की शादी हेतु
3. स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी आदि का निर्माण आदि पर
4. हॉस्पिटल, डिस्पेंसरी के निर्माण आदि पर
5. जीव दया हेतु किसी कार्य पर
6. जैन धर्म के प्रचार – प्रसार हेतु
7. जैन धर्म के प्राचीन ग्रंथों के शोध आदि पर
8. जैन बच्चों को उच्च शिक्षा हेतु
9. जैन तीर्थंकरों से सम्बंधित प्राचीनता को सिद्ध करने हेतु देश विदेश में खोज
10. प्राचीन जैन ग्रंथों का प्रकाशन कर अपने व अन्य धर्मों के लोगो को उपलब्ध कराना

विषय कड़वा है पर चिंतनीय है। किसी बंधु को उपरोक्त विषय से दुख पहुचा हो तो उत्तम क्षमा
साभार सोशल मीडिया