15 मार्च 2023/ चैत्र कृष्ण अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
यह एक स्वाभाविक प्रश्न उत्पन्न होता है कि तीर्थंकर ऋषभदेव ने क्षत्रिय आदि वर्गों की स्थापना की, परन्तु ब्राह्मण की स्थापना क्यों नहीं की? उसका उत्तर ऐसा मालूम होता है कि तब भोगभूमि थी, तीसरा सुखमा-दुखमा काल खत्म होने की ओर था। तब के मनुष्य प्रकृति से भद्र और शांत स्वभाव के थे। ब्राह्मण वर्ण की जो प्रकृति है, वह उस समय के मनुष्य में स्वभाव से थी। अत: उस प्रकृति वाले मनुष्यों का वर्ग स्थापित करने की उन्हें आवश्यकता ही महसूस नहीं हुई।
तीन वर्गों की क्यों स्थापना?
हां, कुछ लोग उन भद्र प्राकृतिक मानवों को त्रास आदि पहुंचाने में लगे थे, इसलिए क्षत्रिण वर्ग की स्थापना की। अर्थाजन के बिना किसी का काम नहीं चलता, इसलिये वैश्य स्थापित किए और सबके सहयोग के लिए शूद्रों का संघटन किया।
महाभारतादि जैनेत्तर ग्रंथों में जो यह उल्लेख मिलता है कि सबसे पहले ब्राह्मण वर्ग स्थापित किया, उसका भी यही अभिप्राय मालूम होता है। मूलत: मनुष्य ब्राह्मण प्रकृति के थे, परन्तु कालक्रम से उनमें विकार उत्पन्न होने के कारण क्षत्रियादि विभाग हुए।
अन्य अवसर्पिणी तथा उत्सर्पिणी के युगों में मनुष्य अपनी भद्र प्रकृति की अवहेलना नहीं करता। इसलिए यहां अन्य कालों में ब्राह्मण वर्ग की स्थापना नहीं होती। विदेह क्षेत्र में भी ब्राह्मण वर्ग की स्थापना न होने का यही कारण है। यह हुण्डावसर्पिणी काल है, जो कि अनेकों उत्सर्पिणी तथा अवसर्पिणी युगों की बीत जाने के बाद आया है।
(स्त्रोत : आदिपुराण-प्रस्तावना)
अयोध्या तीस चौबीसी तीर्थंकर पंचकल्याणक 30 अप्रैल से 05 मई 2023 पावन सान्निध्य : आचार्य श्री विपुल सागरजी ससंघ एवं गणिनी प्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी। सम्पर्क : 9520554138, 9520554164