#भारत मे जिनशासन के अभूतपूर्व रहस्यों से परिपूर्ण एक ऐसा जिला – जिसका नाम ही भगवान #महावीर के ही एक नाम पर #वर्धमान है

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21 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
क्या आपको पता है, भारत मे जिनशासन के अभूतपूर्व रहस्यों से परिपूर्ण एक ऐसा जिला भी है, जिसका नाम ही भगवान महावीर के ही एक नाम पर “वर्धमान” है | जी हाँ ।।

प्राचीन वर्धमान भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक भूतपूर्व जिला था, जहाँ कभी जैन धर्म का बोलबाला हुआ करता था ।

प्रदेश की राजधानी कोलकाता से १०० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली जैन पौराणिक इतिहास है। इसका नामकरण २४ वें जैन तीर्थंकर महावीर के नाम पर हुआ है।
मुगल काल में इसका नाम शरिफाबाद हुआ करता था।

वर्धमान जिले में मिले पाषाण काल के अवशेष तथा सिंहभूमि, पुरूलिया, धनबाद और बांकुड़ा जिले के जैन मंदिर के अवशेषों में समानताएँ हैं। इससे पता चलता है कि यह सम्पूर्ण क्षेत्र एक ही प्रकार की जैन सभ्यता और संस्कृति का पोषक था।

वर्धमान नाम अपने आप में ही जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर महावीर वर्धमान से जुड़ा हुआ है। श्री पार्श्वनाथ की पहाड़िया जैनों का एक महत्वपूर्ण धार्मिक केन्द्र था। यह भी वर्धमान जिले के सीमा से लगा हुआ है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान महावीर धर्म के प्रचार एवं प्रसार के सिलसिले में वर्धमान आए थे। जिले में विभिन्न तीर्थंकरो की पत्थर की बनी प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं।

गुप्त काल एवं सेन युग में वर्धमान का एक महत्वपूर्ण स्थान था। सल्तनत काल एवं मुगलकालों में वर्धमान एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केन्द्र था। यहां बांकुड़ा, पुरुलिया और बर्धमान के पूरे क्षेत्र में जैन मंदिर और मूर्तियां पड़ी हैं, जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है।