वास्तव में जिन मंदिर वह होते हैं जिनके दर्शन मात्र से जीवन की थकान दूर हो जाती है:आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

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शाढोरा, जिस प्रकार मकान की नींव महत्वपूर्ण होती है उसी प्रकार हमारे जीवन की नींव देव, शास्त्र व गुरु के प्रति सच्चा श्रद्धा है। मानव जीवन हमें बड़ी दुर्लभता से मिलता है। जिस प्रकार समुद्र में गिरी हुई मणि मिलना बहुत कठिन है उसी प्रकार यह मानव जीवन पाना बहुत कठिन है। फिर भी हम इसे विषय भोगों में नष्ट कर रहे हैं। उक्त धर्मोपदेश स्थानीय पार्श्वनाथ जैन मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने दिया।
उन्होंने कहा कि संसार के सुखों को ही सच्चा सुख मान रहे हैं जबकि यह क्षणभंगुर है नष्ट होने वाला है। जबकि मोक्ष सुख एक बार प्राप्त हो गया तो अनंत काल तक छूटने वाला नहीं है।
इसके पूर्व धर्मसभा को संबोधित करते हुए गुना नगर गौरव मुनि श्री गुण सागर जी महाराज ने कहा कि देव, शास्त्र, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप और दान यह श्रावक के षट आवश्यक कर्तव्य हैं। इनका आवश्यक रूप से पालन करें। मुनि श्री ने कहा कि नवंबर 2019 से लगातार चल रही यात्रा की थकान गत दिवस दूर हो गई जब शाढ़ौरा के इस मंदिर के जिन बिम्बों के दर्शन हुए। दर्शन पाकर धन्य हो गया। 3 हजार किलोमीटर की थकान इस मंदिर के दर्शन से दूर हो गई।
जिन मंदिर के दर्शन मात्र से जीवन की थकान दूर हो जाती है:
आचार्य श्री ने बताया कि वास्तव में जिन मंदिर वह होते हैं जिनके दर्शन मात्र से जीवन की थकान दूर हो जाती है। मगर इस थकान को दूर करने की क्षमता व्यक्ति में होती है। उन्होंने कहा हम साधना के पथ पर बढ़े जिससे हम मोक्ष मार्ग की मंजिल को पूरा कर सकें।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी