#वनेडियाजी इस मंदिर को कभी किसी ने बनवाया नहीं, बल्कि ये #देवलोक से धरती पर उड़कर पहुंचा मंदिर,#वैज्ञानिक भी हैरान

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1000 से ज्यादा वर्ष पुराने इस मंदिर की विशेषता है कि इस मंदिर को कभी किसी ने बनवाया नहीं, बल्कि ये देवलोक से उड़कर यहां पहुंचा है।

इंदौर मंदिर में स्थापित मूर्तियों के चमत्कारों की कथाएं तो आपने कई बार सुनी होगी लेकिन क्या आप मध्य प्रदेश के इस प्राचीन मंदिर की विद्या के बारे में जानते हैं? 1000 से ज्यादा वर्ष पुराने इस मंदिर की विशेषता है कि इस मंदिर को कभी किसी ने बनवाया नहीं, बल्कि ये देवलोक से उड़कर यहां पहुंचा है। वैज्ञानिक भी आज तक इस बात का राज नहीं तलाश सके हैं कि बिना नींव के भारी दीवारों वाला यह मंदिर यहां कैसे स्थापित हुआ।

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर की देपालपुर तहसील के बनेडिय़ा गांव में स्थित श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बनेडिय़ा जी जैनियों के प्रमुख तीर्थस्थल में शामिल है। इस मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा इसे बेहद चमत्कारी बनाती है। कहा जाता है कि ये मंदिर यहां प्रकट हुआ है इसे बनवाया नहीं गया। इस बात की सच्चाई जानने के लिए मंदिर की खुदाई करवाई गई तो लोग चौंक गए। खुदाई में कहीं भी पक्की नींव का पता नहीं चला। बिना किसी ठोस नींव के यहां स्थापित इस अष्टकोणी भव्य मंदिर में एक भी खंभा नहीं है और मंदिर की दीवारें 6 से 8 फीट चौड़ी है।

चौथे काल की प्राचीन पाषाण प्रतिमाएं मंदिर के निकट रहने वाले संजय जैन ने बताया कि हम छ: पीढियों से इस मंदिर की सेवा में जुटे हैं। पूर्वजों से यही सुना है कि एक तपस्वी मुनिराज इस मंदिर को लेकर कहीं जा रहे थे, किसी कारणवश उन्होंने मंदिर को यहां रखा और तपस्या करने लगे, शाम हो गई तो मंदिर यहीं स्थापित हो गया। तब से ये मंदिर यहीं है। मंदिर में भगवान अजीतनाथ जी की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा मणिभद्र बाबा का क्षेत्रकाल भी यहां है। यहां सफेद पाषाण की कई प्राचीन मूर्तियां भी हैं जिन पर 1248 संवत विक्रम का समय लिखित में अंकित है। ये मूर्तियां चौथे काल की बताई जाती हैं।

पूर्णिमा की पूजा का है महत्व मंदिर को संभाल रहे गंगवाल परिवार के अनिल गंगवाल ने बताया कि ये भारत का एकमात्र अतिशय क्षेत्र है जिसकी नींव नहीं है। पुजारी ने बताया कि यहां हर पूर्णिमा को विशेष पूजा होती है और मेला लगता है जिसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालु शामिल होते हैं। मान्यता है पूर्णिमा को यहां पूजा में शामिल होने से हर मनोकामना पूरी होती है। इसी मान्यता के चलते कई श्रद्धालु लगातार 7,8 या 15 पूर्णिमा तक यहां आते हैं।

4 फीट ऊंची भगवान अजितनाथ जी की प्रतिमा इस भव्य प्राचीन मंदिर के पास एक बड़ा तालाब है। मुख्य मंदिर गोलाकार है जिसमें भगवान अजीतनाथ जी की लगभग 4 फीट ऊंची प्रतिमा स्थित है। इस मूर्ति के अलावा भी मंदिर में कई प्राचीन मूर्तियां मौजूद है। जिनमें भगवान आदिनाथ, चंदप्रभु पाश्र्वनाथ और शांतिनाथ जी की मूर्तियां शामिल है। मूल प्राचीन मंदिर को श्रद्धालुओं ने भव्य मंदिर का रूप दे दिया है। मंदिर तक पहुंचने के लिए इंदौर से बस या कार या बाइक किसी को भी चुना जा सकता है। इंदौर से 45 किमी दूर देपालपुर है और देपालपुर से 4 किमी की दूरी पर स्थित है ये दिव्य चमत्कारिक मंदिर।