माता-पिता से बड़ा भगवान व गुरू भी नहीं होता, है। व्यसन करने वाले मित्रों से सदा दूर रहना चाहिए : मुनि उत्तम सागर महाराज

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खानपुर. -आदिनाथ दिगम्बर जैन चंद्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी खानपुर पर संत मुनि पुंगव सुधासागर महाराज के सानिध्य में संत मुनि उत्तम सागर महाराज ने मंगल प्रवचन सुनाए।
मुनि उत्तम सागर महाराज ने कहा कि पर के ऊपर उपकार अनंत बार करो लेकिन एक बार स्वयं पर उपकार करोगे तो बेड़ा पार होगा। दूसरों पर उपकार करने पर स्वर्ग मिलता है स्वयं पर उपकार करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्यसन करने वाले मित्रों से सदा दूर रहना चाहिए। चाहे वह कितने ही अच्छे हों। माता-पिता से बड़ा भगवान व गुरू भी नहीं होता। घर में भाई बहन परिवार के लोग भूखे बैठे हो और बाहर अन्नदान व भंडारे करने पर धर्म नहीं होगा। आत्मा को बाद में पहले स्वयं को समझो। घर में बना भोजन ही करना चाहिए, बाहर होटल व ढाबे पर कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए। पहला सुख निरोगी काया है, शरीर से दुखी होगे तो संपत्ति भी काम की नही है और यदि शरीर अच्छा है तो संपत्ति अपने आप आ जाएगी। उन्होंने कहा कि लत हमेशा हालत खराब करती है। बच्चा गलत काम कर रहा है और यदि आप हंस रहे है तो वह गलत है। वह जिंदगी भर गलत ही करेगा।

आज का प्राणी संसार में सुगंध के पीछे घूम रहा
आज का प्राणी संसार में सुगंध के पीछे घूम रहा है। हिरण खुशबु के पीछे घूमता है जो उसकी नाभि में ही होती है। गुरू व भगवान के प्रति पूज्य भाव रखना है, ह्रदय उपासना मन सद्भावना व शरीर साधना मे व्यस्त रहना चाहिए। ऐसे मित्र बनाए जो कल्याण की सोचते हो, दुख और बीमारी में क्षमता भाव रखना चाहिए। क्रोध किसी को देखता नही, क्रोध से भय, अंधकार, घंमड, उपेक्षा द्वेष होता है।

-भास्कर से साभार

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