पहला प्रसंग : उदयपुर में जन्मे,यही दीक्षित किसी साधु की यही समाधि- क्षपक मुनि श्री पार्श्वयश सागर जी का समाधि मरण

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19 सितम्बर 2022/ भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /उदयपुर/ राजेश पंचोलिया
तेरी छत्र छाया भगवन मेरे सिर पर हो,मेरा अंतिम मरण समाधि तेरे दर पर हो।
इन धार्मिक पंक्तियो को बिरले पुण्यशाली भव्य जीव जीवन में चरितार्थ करते हैं

शास्त्रों में सल्लेखना समाधि की प्रक्रिया बताई गई है। शास्त्रों में वर्णन है कि जीवन को कैसे जिया जाए ,सल्लेखना समाधि धर्म का आचरण कर जीवन को सार्थक करने का उपक्रम है। शरीर के माध्यम से व्रत संयम किए जाते हैं शरीर जब तप और संयम में बाधा उत्पन्न करता है ,कमजोरी आती है तब शास्त्रों में बताई विधि अनुसार क्रमशः नियम और यम सल्लेखना के माध्यम से व्रत उपवास आहार में क्रमश त्याग कर शरीर को क्रश किया जाता है। सल्लेखना समाधि में कषायो को भी क्रश किया जाता है । यह मंगल देशना आचार्य शिरोमणी श्री वर्धमान सागर जी ने उदयपुर निवासी 94 वर्षीय दीक्षित मुनि श्री पार्श्वयश सागर जी के समाधि के अवसर पर प्रगट की ।

आचार्य श्री ने आगे बताया कि ,धर्म की रक्षा के लिए साधु आत्मा को महत्व देते हैं शरीर संयम के पालन में बाधक होने पर क्रमशः त्याग करते हैं और यह विधि अरिहंत भगवान ने अपनी देशना में बताई, जो गणधर स्वामी ने लिपिबद्ध कर शास्त्रों में अंकित की है ।आप लोग जन्म का महोत्सव मनाते हैं, शास्त्रों में साधुओं के लिए श्रावकों के लिए मृत्यु महोत्सव मनाया जाता है। क्योंकि वीर और संयमी साधु मृत्यु को आव्हान कर मृत्यु से डरते नहीं ,अपनी आंखों से मृत्यु को देखते हैं ।सल्लेखना सामान्य बात नहीं , इसमें दोष नहीं है, सल्लेखना आत्मघाती नही है क्षपक साधु आगामी दो भव से आठ भव में निश्चित सिद्धालय आरूढ़ होते हैं ।

आचार्य शिरोमणी पंचम पट्टाधीश
आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से 14 अगस्त 2023 को दीक्षित 94 वर्षीय मुनि श्री पार्श्वयश सागर जी का 18 और 19 की मध्य रात्रि 12.20 को उत्तम समाधि मरण हुआ।शांतिलाल वेलावत,सुरेश पद्मावत ,जय कारवां ने बताया कि मुनि श्री की विमान डोला 19 सितंबर को प्रातः 8 बजे निकाली गई। राजेश पंचोलिया इंदौर अनुसार आपकी उदयपुर में दिनांक 14 अगस्त को सीधे मुनि दीक्षा हुई। विगत दिनों 17 सितंबर को सभी आहार का त्याग कर यम सल्लेखना वात्सल्य वारिघि पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी समक्ष ग्रहण की ।क्षपक मुनिराज श्री पार्श्वयश सागर जी की विमान यात्रा आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के संघ सानिध्य में हूमड भवन से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए हिरण मगरी सेक्टर 13 के मोक्ष धाम पहुंची शोभा यात्रा में श्रद्धालुओं ने पुष्प वृष्टि कर शोभा यात्रा में शामिल हुए।मुनि श्री के पूजन का सौभाग्य उदयपुर के यशस्वी उप महापौर पारस सिंघवी को प्राप्त हुआ।इसके पश्चात उलटे क्रम से क्षपक मुनिराज की शांति धारा पहले करते हुए पंचामृत अभिषेक किया किया। अग्नि संस्कार गृहस्थ अवस्था के सुरेंद्र एवम परिजनो ने किया।इस अवसर पर समाज की महिलाओ और पुरुषों ने शामिल होकर धर्म लाभ लिया

एक परिचय
उदयपुर के श्री टेक चंद जी का जन्म सन 1929 में हुआ। आप आचार्य श्री शिव सागर जी के समय से संघ से जुड़े हैं विगत 30 वर्षो से लगातार आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के संघस्थ रहे।
14 अगस्त 2023 को 94 वर्ष की उम्र में उदयपुर में दीक्षा ली। संभवत उदयपुर में जन्मे,यही दीक्षित किसी साधु की यही समाधि का पहला प्रसंग है।