सन् 2013 के बाद पहली दिगम्बर संतों की संख्या गत वर्ष 1400 के नीचे चली गई, पर 19-20 में 112 नई दीक्षाओं से यह संख्या फिर 1500 के पार हो गई।
2020 में 10 नये पद प्रदान किये गये
09 फरवरी 2020 को मुनि आदित्य सागरजी को ग्वालियर में आचार्य पद, 15 अप्रैल 2021 को आचार्य निपुणनंदी को सांखना में बालाचार्य, 20 दिसंबर 2020 को आगरा में ऐलाचार्य अतिवीरजी को आ. मेरुभूषण जी द्वारा आचार्य पद, 23 अप्रैल मुनि ज्ञेयसागरजी को मुरैना में आ. विनीत सागरजी द्वारा आचार्य पद, आचार्य विवेक सागरजी को अन्य संतों द्वारा एक और आचार्य पद, 15 मार्च को संघ ने आचार्य श्री निर्भय सागरजी को पट्टाचार्य पद, मुनि श्री सुरत्न सागरजी को 01 जनवरी को ऊदी में आचार्य पद, 07 जनवरी को उपा. मयंक सागर जी को उज्जैन में आचार्य पद, तथा 26 नवम्बर को आर्यिका विशिष्टमति जी को टोंक में गणिनी पद प्रदान किया गया।
2020-21 सबसे ज्यादा समाधिमरण
अब तक उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार सबसे ज्यादा संतों का समाधिमरण 2020-21 में हुआ। इस दौरान 86 संतों का समाधिमरण हुआ, जिनमें से एक संख्या कोरोना के कारण असमय देवलोकगमन वाले भी शामिल हैं। इसमें गिरनार में आचार्य निर्मल सागरजी की 17 नवम्बर को, दो दिन पूर्व 15 नवम्बर को बारां में आचार्य ज्ञानसागरजी की, 08 मई को हस्तिनापुर में गणिनी आर्यिका श्री विद्याश्री, बगवास में नौ दिन में (19, 21, 28 अगस्त) को तीन, बेलगांव में 20 जुलाई को ही दो देवलोकगमन सहित कई अभी भी मस्तिष्क में चिर अंकित हैं।
पिछले 5 वर्षों में समाधिमरण
2016-17 31
2017-18 55
2018-19 33
2019-20 63
2020-21 86
आचार्यों की संख्या पहुंची तीन अंकों में
सन् 2016 में एक बार आचार्य परमेष्ठी की संख्या 100 के पार (104) पंहुची थी, अब दो वर्षों से यह संख्या 100 के पार है। पिछले कुछ समय से, अपने दीक्षा गुरु की बजाय अन्य आचार्य से आचार्य पद लेने की होड़ बहुत तेजी से चल निकली है। दीक्षा गुरु के होते हुए, इस तरह आचार्य पद देना व लेना संत संघं की एकता के लिए शुभ संकेत नहीं है।
पिछले 5 वर्षों में नव दीक्षायें
2016-17 71
2017-18 138
2018-19 67
2019-20 119
2020-21 112
अब तक सर्वाधिक दीक्षायें 2017-18 में 138 दी गई, पर अगले ही वर्ष इसकी संख्या आधी हो गई। पर अब कोरोना काल के बावजूद पिछले दो वर्षों में यह संख्या 100 के पार है। गत वर्ष में 32 मुनि, 14 आर्यिका, 3 ऐलक, 40 क्षुल्लक और 23 क्षुल्लिकाएं दीक्षायें दी गई।
गत वर्ष एक साथ सबसे ज्यादा 28 क्षुल्लक दीक्षायें 14 अगस्त को आचार्य श्री विद्यासागरजी द्वारा तिलवाराघाट जबलपुर में दी गई।
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