बलिदान – पण्डित टोडरमलजी जयपुर में 18 वीं सदी के जैन विद्वान थे। आप आध्यात्मिक विचारक और लेखक भी थे और आपके चिंतन में तर्क और आत्मज्ञान की अद्भुत एकता थी।
आप की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ईर्ष्यावश राज-प्रतिनिधियों ने राजा के द्वारा पण्डित टोडरमलजी को एक हाथी के पैर के नीचे कुचलने के आदेश निकलवाया।
हाथी करुणाभाव के कारण संकोच करता है।निडर पण्डित टोडरमलजी उसे संबोधन करते हैं “हे गजराज! यह राजादेश है ,आप संकोच न करें और अपने आदेश का पालन करें।“
हाथी के द्वारा पंडित टोडरमलजी पर पैर रखते ही युवा पंडित जी तत्क्षण मृत्यु को प्राप्त होते हैं।