टीले “देहरा” से 66 साल पहले सफ़ेद रंग की चंद्रप्रभु भगवान की एक प्रतिमा निकली, फिर भव्य मंदिर का निर्माण और लोकप्रय हो गया #तिजारा अतिशय क्षेत्र

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12 सितम्बर 2022/ अश्विन कृष्ण द्वितीया /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
तिजारा_जैन_मंदिर ,अलवर,राजस्थान.
यह मंदिर वर्तमान अवसर्पिणी काल के आठवें तीर्थंकर चन्द्रप्रभु स्वामी को समर्पित हैं।

तिजारा जैन मंदिर राजस्थान के अलवर जिले में स्थित एक प्रमुख जैन मंदिर है। मंदिर अलवर से 55,दिल्ली से 110 और मेरठ से 182 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक “अतिशय क्षेत्र” है। यह मंदिर वर्तमान अवसर्पिणी काल के आठवें तीर्थंकर, चंद्रप्रभु स्वामी को समर्पित है।

16 अगस्त 1956 को सफ़ेद रंग की चंद्रप्रभु भगवान की एक प्रतिमा भूगर्भ से प्राप्त हुई थी। यहाँ स्थित एक टीले से यह मूर्ति निकलने के बाद ऐसा विश्वास हो गया था की यह एक “देहरा” रहा होगा जहाँ जैन मूर्तियों की पूजा होती होगी। मूर्ति मिलने के बाद मंदिर का निर्माण कराया गया था जिसके पश्चात यह फिर से एक प्रमुख जैन तीर्थ बन गया है।

मंदिर में मुख्य वेदी चन्द्रप्रभ भगवान की है। प्रतिमा की ऊंचाई १५ इंच है। प्रतिमा पर अंकित उत्कीर्ण लेख से पता चलता है कि प्रतिमा प्रथम बार वैशाख शुक्ल 1554 के तीसरे दिन स्थापित की गयी थी।