07 दिसम्बर को राजस्थान के पाली जिले के नाडोल के श्वेताम्बर मंदिर में गुरु मेला और ध्वजारोहण का धार्मिक आयोजन बड़े हादसे में बदल गया, जब मंदिर परिसर में पटाखे (कलर-ब्लास्टर) फोड़ने की वजह से 35 वर्षीया डॉ. प्रियंका चेतन जैन गंभीर रूप से झुलस गई।
पहले स्थानीय अस्पताल में, फिर जोधपुर ओर अब मुम्बई के अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हैं।
अफसोस है कि यह पटाखे फोड़न का कार्यक्रम तीन संतों, समाज के प्रमुख पदाधिकारियों की उपस्थिति के बावजूद स्थगित करने का कोई कदम नहीं उठाया।
पाली जिले के नाडोल कस्बे में जैन समाज के त्रिदिवसीय गुरु मेले के दौरान शनिवार को पटाखों से हुई दुर्घटना ने पूरे समाज को गहरे सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया हैं। इस हादसे में गंभीर रूप से झुलसी प्रियंका जैन की स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई हैं। जोधपुर में इलाज के बाद उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए मुंबई ले जाया गया हैं, जहां डॉक्टर उनकी जिंदगी बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्रियंका जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही हैं और इस दर्दनाक घटना ने जैन समाज की परंपराओं और आडंबरों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आखिर पटाखों की अनुमति किसने दी? क्या सुरक्षा मानकों की जांच की गई थी? पुलिस ने अब तक इस मामले में ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की? इन सवालों का जवाब जरूरी हैं। वहीं, प्रायोजकों की चुप्पी और असंवेदनशीलता भी सोचने पर मजबूर करती हैं। क्या उनकी जिम्मेदारी केवल आयोजन तक सीमित थी? क्या उन्हें पीड़ित परिवार की मदद नहीं करनी चाहिए थी? यह घटना धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और अनावश्यक दिखावे की सच्चाई को उजागर करती हैं।गुरु मेले में पटाखों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन सुरक्षा के कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। न तो आयोजकों ने इस बात का ध्यान रखा कि पटाखों का उपयोग खतरनाक हो सकता हैं और न ही स्थानीय प्रशासन ने इसकी अनुमति देने से पहले सुरक्षा मापदंडों पर विचार किया। हादसे के बाद भी आयोजक और प्रायोजक कार्यक्रम को पहले की तरह चलाते रहे, जिससे उनकी संवेदनहीनता स्पष्ट होती हैं।
इस घटनाक्रम की पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 3036 में देख सकते हैं।