21 दिसंबर 2024/ पौष कृष्ण षष्ठी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की महाराष्ट्र अंचल की बैठक 03 दिसम्बर को युगल मुनिराज श्री अमोघ कीर्ति व अमरकीर्ति जी के सान्निध्य में पुणे के पिंपरी चिंचवड में हुई। उसी दिन युगल मुनिराज के सान्निध्य में पंचकल्याणक की शुरूआत हो रही थी, तो मण्डप उद्घाटन का सौभाग्य तीर्थक्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन जी को मिला।
सभी को आशीर्वाद देते हुए मुनि श्री अमर कीर्ति जी ने बताया कि राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, कर्नाटक के 12-15 मंदिरों को एकसाथ जीर्णोद्धार किये, तीर्थक्षेत्र कमेटी के माध्यम से। मंदारगिरि (टमकुर) में ऊपर वाले 800 साल प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया। कारकल में तालाब के बीच 26 एकड़ वाले मंदिर का जीर्णोद्धार किया।
आज जितनी भी राष्ट्रीय कमेटियां है, अपने उद्देश्यों को भूलकर दूसरे कार्यों में हाथ डालती हैं, पर तीर्थक्षेत्र कमेटी अपने मूल उद्देश्यों में लगी है। सम्मेदशिखरजी की रक्षा का काम तीर्थक्षेत्र कमेटी कर रही है। पर आज समाज नहीं जानता उसको, जिसके कारण हम पहचान नहीं बना रहे हैं। आज तीर्थक्षेत्र कमेटी को प्रचार की आवश्यकता है। एक एप होना चाहिए। छपे फोल्डरों की जगह तकनीक का सहारा लें। चैनल महालक्ष्मी का इसमें पूरा सहयोग लीजिए। गुल्लक घर-घर कैसे पहुंचाई जायेगी। डिजीटल प्लेटफार्म से दान का प्रयास करें।
आज शिखरजी पर ऊपर पहुंचने से पहले 50 संस्थायें हैं, ऊपर पहुंचने तक हाथ में चंद चावल के दाने ही बचते हैं। जागरूक करिये। ट्रेडीशनल से डिजीटल में आइये।
मुनि श्री अमोघ कीर्तिजी ने कहा कि तीर्थ हमारी पहचान है, जान है, प्राण है। बिना तीर्थों के न साधु का, न समाज का अस्तित्व है। 30 साल पहले श्री आर्यनंदी जी महाराज ने कहा था कि आहार दान उसी से लूंगा जो तीर्थरक्षा के लिये दान देगा। इस तरह उन्होंने एक करोड़ रुपये इकट्ठा करके तीर्थक्षेत्र कमेटी को दिया। आज हमारे पास सबसे बड़ी दिगंबर साधुओं की आत्मिक शक्ति है। आज साधु तीर्थ सुरक्षा से जुड़ नहीं पा रहे, कहीं न कहीं हम लोग साधुओं के मन में प्रेरणा नहीं कर पा रहे। आज पंचकल्याणकों में करोड़ों खर्च हो जाता है, पर तीर्थ सुरक्षा के लिये नहीं। साधुओं में अच्छी भावना है, पर कम्यूनिकेशन गेप और आत्मीयता की कमी है। सबसे आशीर्वाद लें, निवेदन करें। चातुर्मासों में सम्मेदशिखर जी सुरक्षा कलश स्थापित करवायें, यह हर कमेटी को शुरूआत करनी होगी। अगर जैनों ने देश की स्वतंत्रता के लिये जान भी दी, तो क्या अब तीर्थों की सुरक्षा के लिए दान नहीं दे सकता।
तीर्थक्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन ने कहा कि 2005 में गुजरात हाईकोर्ट का निर्णय आता है, पर वह लागू नहीं हो पाया। उधर अल्पसंख्यक आयोग ने तीर्थों के जीर्णोद्धार – बाऊण्ड्री वाल के लिये अनुदान देने की बात कही। 18-20 आवेदन भी आये, पर एक के भी दस्तावेज पूरे नहीं थे। अपनी संस्कृति को बचाना होगा, वर्ना 60-70 साल बाद खत्म हो जाएगी। अपनी धरोहरों को बचाना होगा। उम्र के इस आखिरी पड़ाव में मेरा एक ही उद्देश्य है कि जितना जीवन बचा है, वह तीर्थों के संरक्षण में लग जाये। अपनी संस्कृति बचानी है, तो पंथवाद-संतवाद छोड़कर एक होना होगा।
उ.प्र.-उत्तराखंड अंचल के अध्यक्ष श्री जवाहरलाल जैन ने कहा कि प्रति वर्ष समाज का 5000 करोड़ रुपये धार्मिक, सामाजिक, पंचकल्याणक, चातुर्मास, प्रतिष्ठा आदि कार्यक्रमों में खर्च होता है। अब दान की दिशा को थोड़ा पलटना होगा। मंदिरों और घरों को गुल्लकों के बहाने जोड़ें। साधुओं का विश्वास जीतना होगा। आहार-विहार-औषधि के रूप में सहयोग देना होगा। 1800 साधु हमारे प्रचारक हैं।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री संजय पापड़ीवाल ने कहा कि वरूर पंचकल्याणक में तीर्थक्षेत्र कमेटी के कई अधिकारी हैैं, वहां साधुओं और समाज को जोड़ने की आवश्यकता है। तकनीकी टीम को जोड़ना होगा। सन्मति सेवादल में 4000 बच्चे हैं, उन्हें हमें जोड़ना होगा।
चैनल महालक्ष्मी ने तीर्थक्षेत्र कमेटी की कुछ उपलब्धियां गिनाई और महिला मण्डल से घर-घर गुल्लक देने की अपील की। चातुर्मास के पहले तीर्थ कलश की योजना को मूर्त रूप देना होगा। हर विद्वान, पत्रकार, महिला, युवा, कारोबारी सभी तक पहुंचना होगा, जोड़ना होगा। 125वां स्थापना वर्ष तीर्थ संरक्षण-संवर्धन के लिए जन-जन में जागृति लानी होगी।
यह सुनकर सुजाता शाहजी ने तत्काल एक राशि चातुर्मास के फण्ड से देने की बात कही तथा हर घर में गुल्लक अपनी टीम के साथ रखेंगी और उसका कलेक्शन भी करके देंगी।
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री अशोक जैन दोषी, महाराष्ट्र अंचल अध्यक्ष श्री मिहिर भाई गांधी, अंचल महामंत्री श्री ओमजी पाटणी, रविन्द्र देवमोरे आदि अनेक गणमान्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।